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________________ ३६७ जैनकथा रत्नकोष नाग हो. कोनां पाप अने उकाल सर्व विसराल थयां, तेवारें सदु को अहो ! नि मित्तियोतो महोटो ज्ञानी !! इत्यादि वचने तेनी हांसी करवा लाग्यां. । अन्यदा त्यां चार ज्ञानना धणी श्री जुगंधर नामा प्राचार्य पधारता हवा, राजा प्रमुख लोक वंदना करवा नीकल्या, जश्ने गुरुने विधिपूर्वक वंदना करी, अवसर पामीने राजा पूबवा लाग्यो, हे नगवन् ! निमित्तिया नु वचन केम न मट्यु ? गुरु बोल्या, ग्रहाचार योगें करीने बारवर्षी उका ल पडत एवं हतुं, पण कोइ पुण्यवंत जीव तहारा नगर मध्ये उपन्यो, ते ना पुण्य उकालने ठेली काढयो. ते सांजली राजा बोल्यो, हे स्वामिन् ! ते केम ? त्यारे तुरु बोल्या, सोनल तेनुं स्वरूप कहुँ . पुरिमताल नगरे प्रवर नामें कोई कुलपुत्र वसतो हतो, पण तेनुं कुल उचिन्न थयुं ने, दरीस्थिको फरे, वली ते अविरतिनो धणी , कोइ वात नो नियम कस्योनथी, सर्वनदी जे हाथमां यावे ते खाय, एम करतां खा धानो धडो रह्यो नही, तेथी अजीर्ण थयुं, कोढ रोग उपन्यो, ते कोढीयो देखीने लोकें धिक्कार कस्यो, नगर बहार नीकल्यो, फरतां थकां को स्था नके मुनि दीठा, त्यारे पूबवा लाग्यो, हे जगवन ! मने कोढ रोग केम थ यो ? अने ए रोग केमक्ष्य जाय ? त्यारे ते ऋषिबोल्या, रे न! अविरति आत्मा ते असंतोषी होय,ते जो कांश्पण वस्तु न वावरे तोपण तेने विर तिनो लान न थाय. जे माटे इव्य कोश्ने घेर मूक्युं होय पण जो व्याज मुखें बोल्यो होयतो ते आपे, अन्यथा न आपे. ते माटे .विरति करे त्या रें विरतिनो नफो थाय. तथा जेम एकेंघिय जीवो कां पाप करता नथी, कां वावरता नथी पण विरतिविना अढारे पापस्थानक तेने लागे .ते म तें पण अविर तिने जोरें ज्यां ज्यां अता जे जे वेलाये जे जे मल्युं ते ते खाधुं, पण रात्री दिवस कांजोयुं नही, तेथी तुमने अजीर्ण थयु. ते अजी फनी प्रबलतायें कोढनो रोग उपन्यो. माटे जो विरति करे, चारे थाहार नुं परिमाणथी जोजन करे, तो रोग जाय, परम कल्याण थाय. ते सांजलीने तेणें गुरुनु वचन तहत्तिपणे अंगिकार कयुं गुरुने कहे वा लाग्यो, हे जगवन् ! आजथी महारे एक अन्न लेवू, एक विगय वाव रवी, एक शाक खावु अने अचित्त पाणी वावर, एरीतें प्रमाणोपेत नोजन करीश. गुरुयें कयुं, जेम बोल्या. तेमज पाल जो, पाख्यानो महोटो लान
SR No.010251
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size46 MB
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