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________________ श्रीसम्यक्त्वसित्तरी. ३३१ न् ! मुझने कल्याण नथी, तुमने कल्याण नथी, अनें आ घरमा कोश्ने प ण हूं कल्याण देखतो नथी. एवं तेनुं बोलवू सांजली राजा रीश चडावीने कहेंवा लाग्यो के अरे झुं आकाश त्रूटी पडशे? किंवा पर्वत त्रूटी पडशे? आ बांजणनी वात जो जो कहे , के कोने कल्याण नथी. प्रधाने कर्दा स्वामी ! रोष शा माटें करो बो? कारण पूजी व्यो के शाथकी अकल्याण ? तेवारें राजायें पूछे थके निमित्तियो बोल्यो स्वामी ! अकस्मात् मेघ वर सशे तेथकी सर्व नगर जलमय थइ जाशे. माटे अकल्याण देखु बुं. ___ एवं कहेतांज उत्तरदिशाथकी एक हाथप्रमाणे वादलु चड्यु. ते थोडा वखतमां सर्वथाकारों व्यापी गयु. गरिव तथा वीजलीना जबकारा था वा लागा, एटले राजा, मंत्री अने निमित्तियो ए त्रणे जण तिहाथी उठी ने सातमी नूमियें चड्या. तिहां राजा, प्रधानप्रत्ये कहेवा लाग्यो के हा हा इतिखेदे आपणुं अकस्मात् मरण पाव्यु !! आपणे कांश पुण्य कीg नथी तो हवे मरीने किहां जश्गुं ? एटलामां तो सातमी नूमिसुधी पाणी चडी आव्यां, राजाना पग जीजावा लाग्या, राजा नयन्त्रांत थयो थको न मस्कारमंत्र गणवा लाग्यो, एटले जेनी उपर पग मूकीने चडीयें एवं एक महोटुं यानपात्र प्रगट थयु,तेवारें प्रधाने कर्वा पाणी सातमीनूमियें आव्यु माटे हमणांज ए वहाणमां बेसो. कोक देवतायें तमने सहाय कीg . ते सांजलीने राजा जेटलामा जमणो पग नपाडीने वाहाणमां मूकवा जा य दे, एटलामां तो मेघ पण न दीठो, अने यानपात्र पण न दी नगर जेह पूर्वे हतुं तेह ने तेहबुज दीहूं, लोक गातां वातां व्यापार करतां दीवां. राजायें निमित्तियाने कमु ए थयुं ! निमित्तिये कयुं में कांक इजाल देखाडी तेमज संदेहथी राजायें जाणियें इंजालिक निमित्तियाने बे कोडी सुवर्ण थापी विदाय कस्यो. पड़ी राजा पोताना अंतःपुरादिक पागल कहेले के जेहवी या इंजाल दीती तेहकुंज संसारनुं स्वरूप पण जाणजो. यौवन, लक्ष्मी, राज्य प्रमुख ए सर्व इंजालने दृष्टांतें . में मनुष्यनवादिक सामग्री पामीने आज पर्यंत निरर्थक गमावी हवे ढुंदीदा लइ सामग्री सफल करीश. एम कही पोता ना विक्रम नामें पुत्रने राज्य आपी राजायें दीक्षा लीधी. तेज नुवनसागर
SR No.010248
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1890
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size45 MB
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