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________________ ३१७ जैनकथा रत्नकोष नाग त्रीजो. एकदा प्रस्तावें शंखना मात पितायें पोताना पुत्रनी खबर पामीने ति हां तेडं मोकल्यु पनिपतियें घणा आमंबरसहित तेने घेर पहोंचतो की धो. ते आपोतानां मातपिताने मल्यो,त्रणे मित्रनुं स्वरूप कडुं. राजाप्र मुख सर्व लोक कुःख करवा लाग्यां. तिहां शंख गुरु समीपें शुद्ध धर्म पामी गुनकार्योमांव्यव्यय करतो घणी श्रीजिनशासननी उन्नति करतोजीवदया मां तत्पर थयो. एम घणुं पुण्यकर्मोपार्जन करी मरीने देवलोकें देवता थयो. ते देवनुं जेवारें शेष स्वल्पायु रघु, तेवारें गुरुने पूज्युं नगवंत ! हुँ बोध बीज केम पामीश ? गुरुये कह्यु हस्तिनागपुरे शूरराजानो पुत्र जय एवे ना में तुं थाइश. तिहां चित्र जोतां जोतांत्रण मित्रनी साथें तुं प्रतिबोध पा मीश. ते वात गुरुनी पासेंथी सांजलीने ते देवता शूरराजा पार्से आव्यो, अने राजाने कह्यु के तमारी जीतने विषे माहारा पूर्व वृत्तांत आलेखवो, तेणे महारा स्वप्न पाम्याथकी महारुं तथा महारा त्रण मित्र, पूर्ववृत्तांत चित राव्यं तेने लूगडांथी ढांकी मूक्युं, अने हुं शंखनो जीव देवलोकथी च वी आहीं यूरराजानो पुत्र थयो बु. तथा एत्रणराजपुत्र महारा पूर्व नव ना मित्र ते पण ए चित्र देखी मोह पामी. जातिस्मरण पाम्या अने मुज ने पण जातिस्मरण उपनुं तेणे करी में महारूं समस्त पूर्वनव वृत्तांत क युं. तिहां समस्त लोक राजानो तथा त्रण मित्रनो पूर्वनव सांजली दया ने विपे तत्पर थया. सर्व लोको नवकारमंत्र तथा जीवदयानी प्रास्ता आणी धर्म करवाने प्रवा . पडी ते जयराज त्रण मित्रनी साथें गुरुनी स मी चारित्ररत्न पामी आराधक थइ अनंतसुखनुं नाजन थयो. ए समके तना चोथा अनुकंपा लक्षणने विषे जयराजानुं चरित्र कयुं. हवे पांचमुं आस्तिक्य नामें समकेतनुं लक्षण कहे . (अबिक्कमबिजिणवयणे के०) श्रीजिनेश्वरना वचन उपर जे आस्था राखे, तेने आस्तिक्यता कहीयें ॥ यतः॥ मन्न तमेव सबंमि, सकङजि णेहि परमत्तं ॥ सुहपरिणामो सम्मं, कंखाइवि मुत्तिया रहि ॥ १ ॥४५॥ ए आस्तिक्यने विषे पद्मशेखरनी कथा कहीयें बैयें. आ जरतत्रने वि षे पृथ्वीपुर नगरें पद्मशेखर नामें राजा राज्य करे जे. तेणें श्रीविनयंधरत्र रिनी पासेंथी जीवादिक नवपदार्थनो विचार लेइ वजलेखनी पेरें श्रीजि नवचन ऊपर आस्ता राखी . ते राजा प्रतिदिन सनायें बेगे अको गुरु
SR No.010248
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1890
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size45 MB
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