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________________ जैनकथा रत्नकोष नाग त्रीजो. हवे गाथाना पाला बे पदना अर्थे करी बीजूं तीर्थसेवा नूषण कहे जे. (तिब के०) तीर्थ जे श्रीशत्रुजय, नद्ययंतगिरि, अष्टापद प्रमुखनी नि रंतर (सेवाय के० ) सेवा ते ( सयं के ) स्वयं पोतें करवी यात्रायें जा तिहां केटलाएक दिवस रही पूजा करवी जो सामग्री होय तो अंतसमय जाणी पुत्रादिकने घरनो नार सोंपी पोतें निश्चिंत थइ संबल लेइ तीर्थनी सेवा करवी तथा (संविग्गजरोणसंसग्गी के०)संविग्नजन एटलें संवेगी जननी साथै संसर्ग करवो. जेमाटें संवेगीनो संसर्ग करतां थकां पोताने संवेगनी प्राप्ति थाय. तेथी वली बीजा घणा जीवोने ते संवेगी करे, जेम फूल स्वयं सौगंधिक तो हतां ते तेलने सौगंधिक करे तेथकी मोघरेल चंपेलादिक तेल लगाडे थके पुरुषमा सुगंध थाय ए दृष्टांते जाणवू ॥ यतः ॥ वसई गुरुकुले निचं, जो गवं नवहाणत्वं ॥ पियंकरे पियंवाइ, से सिरकं लदु मर हर ॥ १ ॥ इति उत्तराध्ययने ॥ तथा ॥ एसोपुण संविग्गं, संविग्गं सेसया ण जयंतो ॥ कुग्गह विरहेण लदु, पावेश्मोरकं सया सोरकं ॥ १॥ इति एकादशे साधुपंचाशके ॥ जेम श्रीगौतमस्वामी तथा केशीगणधर ए बेतु मले थके तेनो धर्मवाद सांजलीने घणा जीव संवेग पाम्या. तेमाटें सुविहित, शुक्षप्ररूपक, ज्ञानवं तनी सायें गोष्टि करवी. पण मिथ्यादृष्टि तथा भ्रष्टाचारी कुमत्यादिकनो संसर्ग न करवो. केम के तेनुं ज्ञानपण नरकपातने अर्थे थाय ॥ हवे एने विपे नागदत्तनुं दृष्टांत कहीयें .यें. कुसुमपुर नगरने विषे धने करी धनद समान एवा नागचंझनामा शेठ वसे ने तेनी नागश्रीनामें नार्या जे, तेने घणा मनोरथें नागदत्त नामें पुत्र थयो. ते बालपणे पण प्रियधर्म दृढ धर्मी थयो. बालपणामां बार व्रत पालनार, तप करनार,उपधान वहे नार देवनक्ति, गुरुनक्ति कारक नवतत्त्वज्ञाननो विज्ञानवंत थयो. ____ एकदा प्रस्तावें नागदत्त चैत्यपरिपाटी करतां कोइ एकने श्रीजिननवनने विषे अपूर्व थानरण,अपूर्व फूल,श्रीखंम, केसर,कर्पूर, अगरु, धूप, अने दी पश्रेणियें करी महोटे विस्तारें पूजा करतो देखीने चमत्कार पाम्यो. अने मनोरथ करवा लाग्यो के एवी पूजा ढुंपण करूं तो मने आनंद थाय.॥ यतः॥ स्वर्गस्थितानामिहजीव लोके, चत्वारि चिन्हानि वसंति देहे ॥ दान प्रसंगो मधुरा च वाणी, देवार्चनं सजुरुसेवनं च ॥१॥
SR No.010248
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1890
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size45 MB
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