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________________ २२७ श्रीसम्यक्त्वसित्तरी. सार्थेज पाणिग्रहण करवानी प्रतिझा करी, एटले परपुं तो एनेज परj, नहींकां बीजा कोश्नी साथे परj नहीं एवो निश्चय कस्यो. एवामां श्रीवजस्वामी पण पामलीपुरें पधाया, राजा साहामो तेडवा गयो तेने यतिनां द्वंद साहामां मले, तेमांहे जेने रूपवंत देखे तेने ए वज स्वामी जे एम मानीने राजा नमस्कार करी वंदना करे, तेवारें साधु कहे ता जाय के, गुरु पालथी आवे जे एम करतां अनुक्रमें गुरु याव्या, तेम नुं सर्वातिशायी रूप देखी राजा घणो हर्ष पाम्या. गुरुने वांदी गुणस्तुति करी, गुरु उद्याने उतस्या, राजायें वसंतरागादिकना बाला धर्मदेशना सांजली फरी वांदीने राजा पोताने आवासें गयो. तिहां पोताना अंतःपुर नी बागल गुरुना रूप स्वरादिकनो वर्णव कस्यो. अंतःपुरें कयुं जे अमोने गुरु देखाडो. पनी पालखी, सुखासन, रथ प्रमुखमां वेसी अंतःपुर वांदवा निकल्यो. अनुक्रमें चालतां गुरुपासें आवीने वंदना करी राणी सर्व हर्ष पामी. धनश्रेष्ठी पण कोटिसुवर्णे नया रथ साथे पोतानी रुक्मिणी पुत्रीने लइ गुरुपासे आव्यो. गुरुयें विचाटे जे महाहं रूप देखी घणी स्त्रीयो कर्मबंध करशे, माटें रूप परावर्तन करी बेठा थका धर्मदेशना दीये . तिहां सर्व स्त्रीजन वातोकरवालागी, के हा, हा विधाता चूक्यो ने, के जेणे कोकिलना कंठथी पण अधिक एवो एमनो स्वर कीधो, पण रूप मातुं की . तेथीज विधातायें कोकिलनो दृष्टांत जगतमां प्रसिद कीधो . जेम कोकिल काली डे तेमां स्वर मूक्यो , तेम रूप हंसपदीमां मूक्युं . विधाता पण एवो अवलो ले. एवं लोकोना मुखथी साधुयोयें सांजव्युं जे गुरुनी देशना तो अमृत सरखी ले, पण रूप तो सामान्य , ते बालाप संलाप गुरुयें सांन व्यो तेवारें श्रीजिनशासननी प्रनावनाने अर्थे बीजे दिवसें सुवर्णसहस्रपत्र कमल नपर तेजना पुंज जेहस्वानाविक रूप तेवा रूपें व्याख्यान करवा बेता, ते देखी सर्व लोक चमत्कार पाम्यां. अने घणा जीव प्रतिबोध पाम्या ॥यतः ॥दोहो॥ किंहिं परिमल किंहिंतुबदल, किंहिं दल किहिं नवि गंध ॥ रे चंपय तुहिं तिन्नि गुण, सदल सुरूव सुगंध ॥ १॥ हवे धनश्रेष्ठी बोल्यो जे सातपेढी सुधी इव्य खातां खूटे नहीं, एटला इव्यनी साथें महारी रुक्मिणी कन्या- पाणिग्रहण करीने सातनूमिया यावासनेविषे पधारो, यौवननो लाहो ल्यो. गुरुयें कह्यु अमें विषयना
SR No.010248
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1890
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size45 MB
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