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________________ २७० जैनकथा रत्नकोष नाग त्रीजो. राजा राज्य करे , तेने रतिसुंदरी नामें प्राणवलना स्त्री , तेनी साथें विषयसुख जोगवतां तेने हरिदत्त नामें पुत्र थयो. हवे राजाने महाबुद्धिमा न एवा मतिसागर प्रमुख घणा प्रधान , तेमने राजनार सोंपी राजा पो तें प्रतिदिन पंमितनी साथें गोष्टि करे ॥ यतः॥ गीतनाद विनोदेन, कालो गति धीमताम् ॥ व्यसनेन हि मूर्खण, निझ्या कलहेन वा ॥ १ ॥ ___ एकदा प्रस्तावें राजा सनानरी बेग ,घणा पंमितोाव्या ने तेनी सा थे मंत्रीश्वरो धर्मवाद करे . तेमां एक बोल्यो के, दाक्षिण्य औदार्यथी परो पकार करवो, लोक विरु६ वातनो त्याग करवो, ते धर्म जे. बीजो बोल्यो वेदमां कह्या प्रमाणे अग्रिहोत्रादिक कर्मोनुं अनुष्ठान करवू ते धर्म .त्रीजो बोल्यो जे,कुलक्रमागत चाल्यो यावे ,ते धर्म जाणवो.चोथो नास्तिक बोल्यो के,धर्म नथी, अधर्म नथी, स्वर्ग नथी, नरक नथी, परनव नथी, पुण्यपापनो जोक्ता नथी, स्वर्ग नरकनो नोक्ता कोइ नथी, एवी रीतें नाना प्रकारना वा द चाल्या, पण ते मांहेली एके वात राजाना चित्तने विपे वेती नहीं, जे कारणमाटें मिथ्यावाद चर्चा खमे नहीं. कोडवाना लोटना मांझा थाय नहिं. कहुं छे के ॥ ताएयूं जे खमे नहीं तापीयें तो त्रूटी जाय ॥ मामा थाय तो गोधूमना थाय केम के ते ताएयुं खमे. पडी राजा विचारे जे जे ए स ह कोई पोतपोताने मन मान्यो धर्म कहे . ए सर्व मिथ्यावाद ले. पण महाराचिने प्रतिजासतो नथी. ए सर्व कोश्वाना लोट सरखो .अने जे स म्यक् वाद ते गोधूमनी पडसूदी बराबर जे. एम राजा धर्मना संदेहमां हे पड्यो . पण तेमांनो को नासतो नथी. एहवी राजाने मार्गानुसारि पीमति यावी ले तेमतिथी तत्त्वानिनिवेश थाय,ते तत्त्वानिनिवेशथी रूडी चेष्टा थाय ॥ यतः ॥ मग्गाणुसारिणोखलु, तत्तानणिवेस सुहा चेव ॥ होइ सम्मता चेहा, असुहाविय निरणुबंधंति ॥ १ ॥ इति यात्रापंचाशके ॥ हवे राजा गुरुधर्मना कथकनी वांडा करे बे, एवामां प्रतिहारें आवी विनति करी के हे स्वामिन् ! तमारो या जन्मनो मित्र मदनदत्तशेठ , ते सिंहारें आवी उनो रह्यो , तमारा दर्शनने वां . राजायें कह्यु के तेने तेडी लावो. प्रतिहार तेडी श्राव्यो. शेठ पण राजाने प्रणाम करीरा जाना आपेला आसने बेगे. राजायें पूब्युं एटला वर्ष कया कया देशने विषे तमें परिचमण कीg ? अने केटलुं धन उपायु ? तेवारें मदनदत्त
SR No.010248
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1890
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size45 MB
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