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________________ श्री सम्यक्त्वसित्तरी. २०७ कर बे ? तेथी कोई पर्वतने विषे अनशन व्रत लइने प्राणनो त्याग करवो. एवं चिंतवी राजा ने पोतानी स्त्री तथा सर्व परिवार पासेंथी शीख मा गी, राजायें कयुं इहां सुख मूकीने केम जाने बे ? तमें कहो ते में खा पीयें ! कुमरें कयुं के हाल महारे घेर जवानी उत्कंग बे माटे रजा यापो डुं फरीने तरत इहां आवीश. पढी सागर श्रेष्ठीनी पासें घेर जवानी रजा as विदाय ने एक पर्वत ऊपर गयो. त्यां एक योगी मंत्र साधना क रतो वेठेलो दीठो. तेम योगी पण कुमरने जोइने विनय प्रतिपत्ति करीने क देवा लाग्यो के मारा नाग्यने लीज तुं यहीं श्राव्यो बो में पूर्व मंत्रसा धना करी पण उत्तरसाधक विना सर्वे निःफलथई हवे जो उत्तर साधना तुं करे, तो महारो मंत्र, साध्य थाय. एवं ते योगीनुं बोलवं सांजलीने कुमारें विचार कस्यो के, मरवाने श्र मैं तो हुं यहीं प्राव्योज बुं, तेम करतां परोपकार कांइ थाय तो सारुं बे. परोपकार करवो ए मनुष्य मात्रनो धर्म बे पढी योगीना कहेवा प्रमाणें तरसाधकपणुं कबूल करयुं. त्यारें योगी एक अग्निकुंरुमां होम करवा ला यो कुमारने युं के जो नूत, प्रेत, पिशाच तथा वेतालादिक कोई विघ्न करवा याही यावे, तो तेनुं तुं निवारण करजे. कुमार हाथमां खड्ग लईने चोकी करतो रह्यो एटलामां एक वेताल त्यां खाव्यो, तेनी सामें कुमार खड्ग लईने दोड्यो बन्ने बाथोबाथ याव्या. कुमारें वेतालने नीचें नाखी दीघो. ने साहसिक थइ वेतालनी ऊपर चढी वेगे वेताल वश थई रह्यो खाने कहेवा लाग्यो के, हुं ताहारुं पराक्रम जोईने राजी थयो बुं. माटें कांई वर माग, कुमर बोल्यो के ज्यारें हुं तने संजालं, त्याऐं यावजे ते वात कबूल करीने वेताल जतो रह्यो पढी कुमर योगीनी पासें जई कनो रह्यो. ते समयमां योगीनी पासें मंत्राधिष्ठायक देव यावी कहेवा लाग्यो के, जे तुं कहे, ते करूं ! योगी बोल्यो के, जे पुरुष या अमिना कुंम मां प्रवेश करे, तेने सोनानो करो. ते तेणें कबूल कस्युं. त्यारें रातां कणे रनां फूलोनी माला ते कुमरना गलामां घाली तथा रतांजलिना रसना dict नाख्या. ने कहेवा लाग्यो के, या कुंमने तुं प्रदक्षिणा कर. त्यारें शुद्धसम्यक्तवान जे पेलो यारामनंदन, ते नवकार मंत्रनुं स्मरण करतो थ को प्रदक्षिणा देवा लाग्यो. तेनी पाउल योगी पण प्रदक्षिणा देतो चाल्यो.. १७
SR No.010248
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1890
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size45 MB
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