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________________ G४ जैनकथा रत्नकोष नाग पदेलो. ग पाम्या. पड़ी कोण स्वर्गगामी अने कोण नरकगामी जे ? तेनी परी दा करवा माटें जूदा जूदा लोटना त्रण कुर्कुट बनावीने त्रणे शिष्यने दीधा, अने कह्यु के जिहां कोई देखे नहिं, तिहां एने हणी आवजो. तेमां वसुराजा अने पर्वतक ए वे जण तो जंगलमा जइ कोइ एकांत ज ग्यायें कुकडानो विनाश करीने आव्या. अने नारदें तो घणा स्थानक जोयां पण क्यांहि कोई न देखे एवं स्थानक.दीतुं नहिं. तेवारें कुकडाने पालो आण्यो. उपाध्यायें पूब्यु के केम पाडो लाव्यो? तेवररें नारद बोल्यो के देव, दानव, निगोद अथवा ज्ञानी जिहां तिहां देखी रह्याने तेमज महारो आ त्मा पण देखतो हतो, माटें शी रीतें तमारी आझानो नंग करी एनो वि नाश करूं! ते सांजली उपाध्यायें चिंतव्यु के ए स्वर्गगामी डे अने प हेला वे नरकगामी चे. अनुक्रमें उपाध्याय आयुष्य पूर्ण करी देवलोकें.गया. पड़ी तेने पाटें पर्वतक वेगे धने वसुने राज्य मन्यु, नारद पोतानें घेर गयो. एकदा एक आहेडीयें वनमा जइ कोई मृगनी उपर बाण नारख्यो, आगल ज जोयुं तो मृगने स्थानकें स्फाटिकनी शिला दिली, तेणें रा जाने आवी कहां के तरत राजायें ते शिला बानी मगावी, पीतिका मंझावी, नपर सिंहासन थापी पोतें बेसवा मांमधु, लोक सर्व जाणवा लाग्या के वसुराजा सत्यवचनने बलें करी अधर बेसे डे, तेथी सिमाडीया राजा प्र मुख सेवामा रह्या, महोटी प्रतिष्ठावंत सत्यवादी एवो वसुराजा कहेवाण. ___ एकदा पर्वतकने मलवा माटें नारद कोई ग्रामांतरथी तिहां आव्यो, पोतपोतामां मलीने वेग, ते समय शिष्यने नणावतां अज शब्दनो अर्थ बागनो होम करवोएवो पर्वतें कह्यो, तेवारें नारद बोल्यो के गुरुयें तो आप गने जणावतां अज शब्दनो अर्थत्रण वर्षनी जूनीव्रीहिकही ,तो तमें अज शब्दनो अर्थ नाग केम कहो ?पर्वतेंना कही. एमपोत पोतामा विवाद करतां मोटो तरे, तेनी जीन नेद। नाखवा. एवी प्रतिज्ञा करी. ते वखत पर्वतकनी मातायें जाएयुं जे नारद कहे ,ते वात खरी ने माटे ढुंज वसुराजानी पासें थीपुत्रनिदा मागीलेलं.कारण के सादी दाखल बे जण वसुराजा पासें जवा ना , एवं विचारी वसुराजा पासें जश्ने कालावाला कीधा, अनुक्रमें ते बेतु जण वाद करतां वसुराजा पासें अर्थ पूबवा याव्या. राजायेंपण मिश्र वचन बोलीने कयुं के अज शब्दनो अर्थ बोकडो पण थाय ने, अने नेदांतरें व्रीहि
SR No.010246
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1867
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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