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________________ सिंदूरप्रकरः ग्रागल तो चालो श्रापणे कोई महंत पुरुषने पूढीयें. धने जो ते पुण्य थकी जय याय एवं कहे, तो तहारे महारेशी सरत ? तें सांजली सन बोल्यो के जो एम कोइ कहे तो हुं या जन्मपर्यंत तमारो दास यइनें र हिंश, अने जो एमं नवरे तो या जन्म पर्यंत में माहारा दास, चने रहो. बच्चे जो एवी प्रतिज्ञा करी, चालतां कोइक गामें जड़ पहोता. तिहां घणामहौटा लोकोनां टोलामांहे ज‍ पूजवा लाग्या के नाइने ! सुखश्रेय प्रामीयें ते पुण्य किंवा पापथी ? ए प्रश्नवचन सांगलीने लोको बोल्यां के जाइ ! हमणां तो पापज सुखहेतु बे, ने पुण्य दय थाय े. पवं. सांगली बेडुजल ग्रागल चाल्या मार्गमां ललितांगकुमरने सन हांसी पूर्वक कहेवा लाग्यो के हो कुमर ! हवे तमें घोडा उपरथी उतरी चाकर थइने महारी खाग़ल चालो. पोतानी प्रतिज्ञा पालो. एवं वचन सांजली कुमर घोडाथी नीचें उतरी सजन प्रत्यें कहेवा जा के मित्र ! हुं सर्वदा बाहरो सेवकज बुं. ए'असार धननी शोना कारमी तैनी को मनेगरज नथी. मने तो एक धर्मज निश्चल था. एम कही सेवक. इागल चाल्यो ते सऊन घोडा उपर चढ्यों. खागल चालतां वली कुमरप्रत्येंकहेवा लाग्यो के हे कुमर ! श्री जिनधर्मना फल जोगवो हवां बे ? हुं तमोने हजी पण कहुं बुं, के तमें तमारो कदाग्रह मूकीने पाप चोरादिक कर्म करो; ते शिवाय बीजो कोइ तमारे जीववानो उपाय मने नासतो नथी. जो एम नहिं करशो तो कष्ट पामशो एवां वचन सां नली रीश चढावीने कुमर बोल्यो के अरे मूर्ख ! तहारामां गुण तो सर्व ऊननाज देखाय बे, पण तहारी फइयें तहारुं नाम सऊन पाड्युं बे, ते मि या. बे. जे मिष्याचपदेश पे ते महापापी जालवो. तेनी उपर एक दृष्टां त कहुं बुं ते सांज़ल. को एक प्राहेडी निरंतर जीवोनो वध करतो अटवीमां से बे.. एकंदा प्रस्तावें ग्राहेडीयें वनमां जइ एक हरणं) दीवी, तेने ह वा माटे कान पर्यंत बाण सांधीने जेवामां बोडवा लाग्यो, तेवामां हर · बोली के हे व्याध! हे बांधव! तुं क्षण एकं सबूर कर: एटलामां हुं महारां न्हानां चांने धवरावी पार्टी खा. तेवारे याहेडी बोल्यो रे बापडी ! तुं या बाथी छूटी जइश तो फरें पाठी' यावीश नही, तेवारें तेने हरणी ये कयुं के जो हुं न खावुं तो महारे, शिर गोहत्यादिकनां पापो बे, 'ते वचन सांगली याहेडीयें कयुं के कष्टमांथी उगरवा माटे तुं एवां वचन बोले बे, २
SR No.010246
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1867
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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