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________________ जैन ज्योतिर्लोक २ घटिका का १ मुहूर्त होता है । इसी प्रकार ३७७३ उच्छवासों का एक मुहूर्त होता है एवं ३० मुहूर्त' का १ दिन-रात होता है अथवा २४ घन्टे का १ दिन-रात होता है। १५ दिन का १ पक्ष २ पक्ष का १ मास २ मास की ? ऋतु ३६ ३ ऋतु का १ अयन २ अयन का १ वर्ष ५ वर्षों का ? युग होता है । प्रति ५ वर्ष के पश्चात् सूर्य श्रावण कृष्णा १ को पहली गली में आता है । दक्षिणायन एवं उत्तरायण का क्रम जव सूर्य श्रावण कृष्णा १ के दिन प्रथम गली में रहता है तब दक्षिणायण होता है एवं उसी वर्ष माघ कृष्णा ७ को उत्तरायन है । तथैव दूसरी वर्ष श्रावण कृष्णा १३ को दक्षिणायन एवं माघ शुक्ला ४ को उत्तरायण होता है । तीसरी वर्ष - श्रावण शुक्ला १० को ५. ४८ मिनट का १ मुहूर्त होता है इस लिये ३० मुहूर्त के २४ घन्टे होते हैं ।
SR No.010244
Book TitleJain Jyotirloka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Jain Saraf, Ravindra Jain
PublisherJain Trilok Shodh Sansthan Delhi
Publication Year1973
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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