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________________ जन ज्योतिर्लोक २६ दोनों सूर्यों का आपस में अंतराल का प्रमाण जब दोनों सूर्य अभ्यंतर गली में रहते हैं तब प्रामने-सामने रहने से सूर्य से दूसरे सूर्य का आपस में अंतर ६९६४० योजन (३६८५६०००० मील) का रहता है एवं प्रथम गली में स्थित सूर्य का मेरू से अंतर ४४.२० योजन (१७६२८०००० मोल) का रहता है। अर्थात्-१ लाख योजन प्रमाण वाले जंबूद्वीप में से जंबूद्वीप संबंधी दोनों तरफ के सूर्य के गमन क्षत्र को घटाने से १००००० - १८० : २-६६६८० योजन पाता है । तथा इसमें मेरू पर्वत का विस्तार घटाकर शेष को प्राधा करने से मेरू से प्रथम वीथी में स्थित सूर्य का अंतर निकलता है। ६६६४०-१००००.४४२० योजन (१७९२८०००० मील का होता है। सूर्य की अभ्यंतर गली की परिधि का प्रमाण अभ्यंतर (प्रथम) गली की परिधि' का प्रमाण ३१५०८६ योजन(१२६०३५६०००मील) है । इस परिधि का चक्कर (भ्रमण) १. गोल वस्तु के गोल घेरे के प्राकार को परिधि कहते हैं और वह व्याम मे कुछ अधिक तिगुनी (३) होती है।
SR No.010244
Book TitleJain Jyotirloka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Jain Saraf, Ravindra Jain
PublisherJain Trilok Shodh Sansthan Delhi
Publication Year1973
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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