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________________ उनकी सर्व हितकारी वाणी का प्रचार रेडियो, टेपरेकार्डर, टेलिविजन एवं चल-चित्र आदि के माध्यम से किया जावेमा । संस्था के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं (१) दिगम्बर जैन शास्त्रीय आधार पर त्रिलोक सम्बन्धी शोध करना। (२) जैन साहित्य, जैन कला तथा जैन संस्कृति की खोज एवं प्रचार करना। ( ३ ) राष्ट्र हित में अन्य धार्मिक एवं सामाजिक कार्य जिनको संस्थान उपयुक्त समझे करना-कराना इत्यादि । इस प्रकार अनेक हितकारी उद्देश्यों से युक्त यह संस्था समाज को समय-समय पर नई-नई खोजों से अवगत कराती रहेगी। ___ इन सब कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक स्थाई समिती की भी स्थापना की जा चुकी है।
SR No.010244
Book TitleJain Jyotirloka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Jain Saraf, Ravindra Jain
PublisherJain Trilok Shodh Sansthan Delhi
Publication Year1973
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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