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________________ रत्नों की खान-पूज्य आर्यिका श्री रत्नमती माताजी (भूतपूर्व विशाल परिवार के मध्य) नीचे बैठी हुई-प्रथम पक्ति में (बॉय से दाय) : मुपुत्रियां-(१) गांनिदेवी (२) कामिनीदेवी (३) कु० त्रिशला (४) बाल ब्र० कु० मालती (५) कु० माधुरी (६) कुमुदिनी देवी (७) श्रीमती देवी।। द्वितीय पंक्ति-सुपुत्र : (१) कैलाशचन्द (२) मुभाषचन्द (8) सुपुत्री-बाल ब्र० प्रायिका पू० श्री अभयमती माताजी (४) स्वयं पू० प्रायिका श्री रत्नमती माताजी (५) सुपुत्री–विदुषी रत्न बाल ७० पू० प्रायिका श्री ज्ञानमती माताजी (६) मुपुत्र-बाल ब्र० रवीन्द्रकुमार शास्त्री, बी०ए० (७) श्री प्रकाशचन्द । तृतीय पंक्ति-(खड़ी हुई) : पुत्र वधु-(१) चन्दादेवी (२) मुषमादेवी। (३) दामाद-जयप्रकाश (४) प्रेमचन्द । (५) भाई--भगवानदास (६) दामाद-प्रकाशचन्द (७) राजकुमार । () जेठानी-छुहारादेवी। (९) पुत्रवधु-ज्ञानादेवी।
SR No.010244
Book TitleJain Jyotirloka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Jain Saraf, Ravindra Jain
PublisherJain Trilok Shodh Sansthan Delhi
Publication Year1973
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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