SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जन ज्योतिर्लोक ४५ है । उससे तेज गमन ग्रहों का, उससे तीव्र गमन नक्षत्रों का एवं सबसे तीव्र गमन ताराम्रों का है । एक चन्द्र का परिवार इन ज्योतिषी देवों में चन्द्रमा इन्द्र है तथा सूर्य प्रतीन्द्र है । अतः एक चन्द्र (इन्द्र) के - १ सूर्य ( प्रतीन्द्र ), ८८ ग्रह, २८ नक्षत्र, ६६ हजार ६७५ कोड़ाकोड़ी तारे ये सब परिवार देव हैं । कोड़ाकोड़ी का प्रमाण १ करोड़ को ? करोड़ से गुणा करने पर कोड़ाकोड़ी संख्या आती है । १००००००० १००००००० = १०,००००००००००००० १ तारे से दूसरे तारे का अन्तर एक तारे से दूसरे तारे का जघन्य अन्तर १४२६ मोल अर्थात् ' महाकोश है इसका लघु कोश ५०० गुणा होने से LE हुआ उसका मोल बनाने पर २= १४२६ हुआ । मध्यम अन्तर—५० यांजन (२०००० मील) का है एवं उत्कृष्ट अन्तर–१०० योजन (४००००० मील) का है ।
SR No.010244
Book TitleJain Jyotirloka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Jain Saraf, Ravindra Jain
PublisherJain Trilok Shodh Sansthan Delhi
Publication Year1973
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy