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________________ (६१) तीर्थकरों ने साधुओं और श्रावकों के विषय में इतना विस्तारपूर्वक विवेचन किया है, परन्तु उन्होंने मंदिगे और मूर्तिपूजा के विषय में कुछ नहीं कहा-यह बात ध्यान देने योग्य है और बड़े महत्त्व की है। (९) बहुत से अन्य शास्त्रो मे भी साधुओ और भावकों के लिए आचार संबंधी नियम लिखे हैं, परन्तु उनमें मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं मिलता | यदि मूर्ति-पूजकों के कथनानुसार मूर्तियों और मंदिरों के बनवाने से मुक्ति मिलती होती, तो सर्वज्ञ महावीर, सूत्रों में इस महत्वपूर्ण विषय का समावेश बिना किये कभी नहीं रहते। (१०) यदि तीर्थंकरो ने मूर्ति-पूजा करने और मदिर बनवाने का विधान किया होता, तो वे यह बताना न भूलते कि मूर्ति किस आसन मे होनी चाहिए, किस पदार्थ की बननी चाहिए, उसकी प्रतिष्ठा और पूजन के समय किन मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए, आभूषण किस प्रकार के होने चाहिए, पूजन किस प्रकार होना चाहिए, उनमें किस सामग्री का प्रयोग करना चाहिए और मूर्तियों से संबंध रखने वाले अन्य कार्य कैसे होने चाहिए। (११) यह बात प्रसिद्ध है कि महावीर, गौतम बुद्ध के समकालीन थे और इसलिए बौद्ध सूत्र महावीर के बतलाये
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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