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________________ (५८) २ उपासकदशांग सूत्र में महावीर के दस श्रावकों के धन और संपत्ति का पूर्ण विवरण दिया है । उनकी संपत्ति का उल्लेख करने में तीर्थंकरों की पूजा के निमित्त मंदिरो का उल्लेख कहीं नही आया । ३ जैन शास्त्रों में हमको ऐसे श्रावकों के वर्णन मिलते हैं जो झुण्ड के झुण्ड महावीर को वंदन करने के लिये गये परन्तु यह कहीं नहीं लिखा कि वे मंदिरों के दर्शन करने के लिये या तीर्थ यात्रा करने के लिये गये हों। ४ जब महावीर के दस श्रावकों ने गृहस्थाश्रम तथा संपत्ति को त्याग कर श्रावकों की पडिमाओ को धारण किया तब वे पापधशालाओं में गये परन्तु वे ऐसे मंदिरों मे न गये जिनमें तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ थी । यदि उस समय मंदिर होते और मूर्तिपूजा का प्रचार होता तो ये श्रावक चित्तको आकर्पण न करनेवाली पौपधशालाओं में न जाकर तीर्थंकरो की मूर्तियों से पवित्र किये गये मंदिरो में ही जाते । ५ महावीर ने राजाओ और रईसों मे भी जैनधर्म के सिद्धान्तो का प्रचार किया और उन्होंने यह उपदेश दिया कि केवल आत्म-निरोध, आत्म-संयम और अन्य सद्गुण, जिनके लिय स्वार्थ त्याग करना पडता है, मुक्ति प्राप्त करने के माधन है । परन्तु उन्होंने यह उपदेश कभी नहीं
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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