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________________ का निर्णय करेंगे कि श्वेताम्बरों का कौनसा संप्रदाय-मूर्तिपूजा न करने वाला या मूर्तिपूजा करने वाला-महावीर के असली उपदेशों का सच्चा अनुयायी है व मूर्तिपूजकों के इस कथन में कि मूर्ति पूजा न करने वाले (स्थानक वासी ) जैन धर्म के सच्चे अनुयायी नहीं है और इसलिए वे अर्वाचीन हैं कुछ सार है या नहीं। जैन धर्म के कुछ सिद्धांतों की निर्पक्ष और गहरी छानबीन करने से ही यह अत्यंत महत्वपूर्ण और पेचीदी समस्या हल की जा सकती है। __ सबसे पहला प्रश्न मूर्तिपूजा का है। श्वेताम्बर मूर्तिपूजकों का यह कथन है कि तीर्थंकरों ने मुक्ति प्राप्त करने के लिए मूर्ति पूजा का विधान किया है, परन्तु मूर्तिपूजा न करने वाले इसका विरोध करते हैं। मूर्तिपूजा के प्रश्न पर कई सदियों से लगातार वादविवाद हुआ है और निर्पक्ष और परमेश्वर से डरने वाले मनुष्यों को यह दिखाई देगा कि यह प्रश्न सदा के लिए संतोप जनक हल हो चुका है। जैन धर्म में मूर्ति पूजा का विधान नहीं है। समस्त जैन शास्रों में तीर्थकरोंने मूर्तिपूजा का विधान कहीं नहीं किया। विधान ही क्या, उन्होंने इस बात का
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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