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________________ (३७) अन्य प्राचीन ग्रन्थों में लिखा है कि वल्लभि की सभा के सभापति देवर्द्धिगणी को, जो पट्टावली में २७ वे पाट परहै, महावीर के निर्वाण के बाद लगभग एक पूर्व का ज्ञान था । देवर्द्धि के पहले जो २६ आचार्य हो गये हैं उनमें से कुछ __ तो समस्त चौदह पूर्वो का ज्ञान रखते थे और कुछ को __ चौदह से कम पूर्वो का ज्ञान था । इन आचार्यों के सिवाय वल्लभि की सभा के पहले बहुत से अन्य विद्वान् साधु भी ऐसे थे जिनको पूर्वो का न्यूनाधिक ज्ञान था । देवगिणी अन्तिम पूर्वधारी थे और फिर उनके बाद पूर्वो का ज्ञान सर्वथा विस्मृत होगया । अतएव मालूम होता है कि महावीर के निर्वाण के १००० वर्ष बाद भी पूर्वो के कुछ अंश का ज्ञान मौजूद था। जब विश्व में ऐसे विश्वसनीय प्रमाण मौजूद हैं। तब यह मानना न्याय संगत नहीं है कि पूर्व का अस्तित्व, अंगों के पहले था, वे वाद विवादपूर्ण थे, वे शनैः शनैः लुप्त हो गये और एक नया सिद्धान्त जो अभी कायम है, पाटलीपुत्र की सभा में ईसा से तीन सो वर्ष पहले तैयार किया गया । __ परन्तु कुछ विद्वान् यह स्वीकार करने पर भी कि पूर्व अंगों मे ही सम्मिलित थे, इस बात पर आपत्ति करेंगे कि अंगों की रचना महावीर के समय मे हुई थी। क्यो कि पाटलीपुत्र की सभा के पहले अंगों की प्राचीनता सिद्ध करने
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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