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________________ (२५) लंबियों में इस प्रकार निर्बलता आ गई तब उसके प्रतिवादियों की बन आई। उन्होंने जैनों के धर्म शास्त्रों को जला दिये, उनके पवित्र स्थानों को अपवित्र कर दिये, उनके सिद्धांतों का उपहास किया और उनको संसार की दृष्टि से गिराने का यथाशक्ति प्रयत्न किया। यद्यपि तत्कालिन स्थिति का यह केवल अंशमात्र दिग्दर्शन है तथापि इसके प्रतिवादियों का ___ नो अत्याचार इमपर हुआ है उसका अनुमान मात्र इससे हो सकता है। जैन धर्म का साहित्य अनुपलब्ध है। ____ कहीं बचाखुचा साहित्य भी नष्ट न हो जाय, इस भय से जैनों ने उसे तहखाने में छिपा दिया । बहुत से बहुमूल्य हस्तलिखित ग्रन्थ कीटकों के भक्षस्थान को प्राप्त हुए। अब भी जो कुछ बहुमूल्य जैन साहित्य बचा है वह भी विद्वानों को उपलब्ध नहीं है क्योंकि जैन साहित्य-भंडारों के स्वामी दूसरों को अपने ग्रन्थ दिखाने में वडा पक्षपात और विरोध करते हैं। उस पक्षपात और अत्याचार के जमाने मे ग्रन्थों को इस प्रकार छिपाकर रखना आवश्यक था परन्तु वही पद्धति अब भी प्रचलित रखना किसी भी प्रकार जैन साहित्य की वृद्धि को हितकर नहीं हो सकती। पाश्चिमात्य विद्वानों को जैन धर्म के विषय में भ्रम क्यों हुआ। अतएव यह बात स्वाभाविक थी कि पुरातत्व की खोज करते समय पूर्वीय भाषाएं जानने वाले योरोपीय विद्वानों
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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