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________________ (२३) मूर्तिपूजा का विधान करके और कल्पित धार्मिक सिद्धांतों का प्रचार करके जैन धर्म को यद्यपि एक नया और विचित्र रूप दे दिया तथापि उन्होंने कई शताद्वियों तक अपने अगाध पांडित्य और अविभांत परिश्रम से भीर और नीच प्रतिद्वन्दियों की ओर से आघात पहुंचते हुए भी अपनी मर्यादा को अविछिन्न रक्खा उसके लिये वे धन्यवाद के पात्र हैं। हिन्दू और अन्य धर्मावलम्बी राजाओं पर जैन धर्म का प्रभाव। इन महान् विद्वानों का ऐसा प्रभाव था कि जिसके ___ कारण कुमारपाल आदि अनेक शक्तिशाली राजा जैन धर्मावलबी हो गये और उनके हृदयों में दया भाव का ऐसा संचार हुआ कि उन्होंने जैनों के निवास स्थानों में पशुहिंसा रोकने के लिये फरमान (आज्ञा-पत्र ) जारी कर दिये । कई मुसलमान बादशाहों ने आज्ञा पत्रों द्वारा समस्त भारतवर्ष में जहां जहां जैन मतावलम्बी रहते थे वहां पजूसन (पयूषण पर्व) पर पशु हिंसा न करने के लिये आज्ञा पत्र प्रकट कर दिये थे। सम्राट अकबर का एक ऐसा ही फरमान अब भी उपलब्ध है। कई देशी रियासतों में जैनो को अब भी यह अनूठा स्वत्व प्राप्त है। टॉड साहिब के राजस्थान नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक __ ग्रन्थ से पता लगता है कि तत्कालीन राजपूत राणाओं और महाराणाओ पर जैनों का इससे भी अधिक प्रभाव था।
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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