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________________ जैन धर्म में श्री हनुमान भारतीय दर्शन शास्त्रों में विविध संस्कृतियों के अन्तर्गत अनेक कथायें आचार्यों ने विभिन्न भाषाओं में लिखीं, उनमें श्रमण संस्कृति के प्राचार्यों का कथन काफी कुछ वैज्ञानिक है। 'गुण भद्राचार्य' उत्तरपुराण में कहते हैं कि शक्ति और विधि के अनुकूल मोक्ष मार्ग पर चल कर ही राम व हनुमान दोनों श्रुतकेवली हुए और तपस्या करके मांगीतुगी पर्वत से मुक्त हुए। श्री हनुमान साक्षात् कामदेव थे तथा कर्तव्यनिष्ठ थे। वे श्री राम के अनन्य भक्त थे । जहां वे मुक्त हुए, उन सिद्ध क्षेत्रों की वन्दना करके हम अपना जीवन भी सफल बना सकते हैं।' जैन अन्थों तथा विद्वानों द्वारा लिखी गई अनेक पुस्तकों में श्री हनुमान का स्वरूप उनकी विशिष्ट मर्यादा तथा उनके प्रति व्यक्त किये गये सम्मानभाव बहुत कुछ हिन्दु धर्म ग्रन्थों के अनुरुप एवं समान ही हैं। ____ कविवर श्रीमान् सूर्यमुनि जी महाराज द्वारा रचित जैन रामायण के अन्तर्गत भी हनुमान को सुख सम्पत्ति के दाता, राम के भक्त, महाबली योद्धा और अंजली तथा पवन के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है। 'योद्धा वीरबली हनुमान, राम के भक्त कहाते हैं भक्त कहाते हैं, अंजली पुत्र कहाते हैं। १-मुनि विद्यानन्द : मंगल प्रवचन, पृष्ठ : २३० २-जैन रामायण : कविवर्यसूर्यमुनि जी महाराज : पृष्ठ२३ -
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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