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________________ होते हुये भी वैष्णव धर्म को ही मानते हैं, यह उनका राज्य धर्म रहा है। उनके घरों में जैन धर्म मानने वाली वहुयें हैं, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता । बहुत से सनातन हिन्दू कहे जाने वाले कुटुम्बों में जैन धर्म को माना जाता है। जैनियों के विवाह के कार्यों के पहले श्री गणेश जी की स्थापना की जाती है, जिन्हें वैष्णव प्रादि भगवान् मानते हैं । विवाह वेदी कुन्ड के समक्ष ब्राह्मण द्वारा वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ हिन्दू पद्धति के माफिक ही विवाह संस्कार किया जाता है। जैन बच्चों की जन्म कुण्डली तथा लग्नपत्रिका हिन्दू पद्धति से ही लिखी व भेजी जाती है। राजस्थानी जैनियों के गोत्रों पर अगर आप ध्यान देंगे तो राजपूत और इनके गोत्र आपको प्रायः एक ही समान मिलेंगे। इतना ही नहीं औरतों व मर्दो के नाम भी मिलते-जुलते ही रहेंगे। और भी अगर देश के दूसरे प्रान्तों के जैनियों के नामों की लिस्ट की तरफ ध्यान दिया जाये तो अधिक नाम वैष्णव अवतारों के नाम पर ही रखे हुए मिलेंगे । नाम के साथ सिंह भी जोड़ा जाता है । सिंह शब्द राजपूतों के नाम के साथ भी रहता है। ___जैनियों में चोटी रखना और तिलक लगाना भी तो हिन्दू विधि विधान का ही पूरक है। दोनों पक्ष पूर्व दिशा को ही मान्यता देते हैं। गंगा को पवित्र मानते हैं। ___ जैन मन्दिर व हिन्दू मन्दिरों की बनावट भी एक-सी ही होती है, मन्दिर के ऊपर गुमठ भिन्न कलाओं के साथ एक ही श्राकार वाली बनाई जाती है। उसके शिखर पर सोना, तांता .
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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