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________________ . . सांस्कृतिक व धार्मिक सम्बंध विदेशों के साथ बहुत प्राचीनकाल से था। भारतवर्ष की सीमा पश्चिम में सिन्धु नदी, पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी, उत्तर में हिमालय की दक्षिण श्रोणी और दक्षिण में समुद्र कर रहा था । सिन्धु नदी से परवर्ती पारसीक, यवन आदि देशों में रहने वाले लोग सिन्धुनद. मैं.. उल्लक्षित. इस भूखण्ड (भारतवर्ष) को हिन्दू कहते थे। हिन्दू मा हिन्दू सिन्धू का रूपान्तर है जो उनकी स्वदेशोच्चारण शैली में हुअा है। कालकाचार्य जब पारसीक देश में गये थे, तब उन्होंने शाही लोगों से यही कहा-'चलो, हम हिंदुग देश में चलें-एहि. हिंदुग देसं बच्चाभी। इस घटना का उल्लेख जिनदास महत्तर ने 'निशीथचूणि' में किया है। वह विक्रम की सातवीं शताब्दी की रचना है। इससे स्पष्ट है कि उस समय तक 'हिंदुग' का प्रयोग देश के लिये होता था । अभिघात राजेन्द्र (७।१२८) में हिन्दु शब्द के अर्थ-परिवर्तन का क्रम बतलाया गया है। उसके अनुसार पहले 'हिन्दू' शब्द देशवाची था फिर आधार-प्राधेय के सम्बंधोपचार से वह 'हिन्दू' देशवासी आर्य लोगों का वाचक हुआ और तीसरी अवस्था में वह वैदिक धर्म के अनुयायियोंका. वाचक हो गया ___ 'हिन्दुरिती व्यवहार तो जनपद परोचिंतात् स्त्यात् आर्य मनुष्य परो पयात । क्रमादेतद्देश प्रसिद्ध वेद मूलक लोकायमानु सारिष्वपि वौध कोजात वैदिक काल में सिन्धु और पंजाव को सप्तसिन्धुं कहा जाता था। ऋग्वेद (११३२।१२,२।१२।१२ आदि). में सप्तसिन्धु का प्रयोग मिलता है। पारसियों के धार्मिक ग्रंथ अवेस्ता में सप्तसिन्धु के लिए 'हप्तहिन्धु' का प्रयोग मिलता.
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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