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________________ भारत में जैन तीर्थ जैन भारत के ही निवासी हैं, जैन दर्शन भारत की ही एक मूल्य निधि है. इनके चोबीसों तीर्थकरों ने भारत में ही जन्म लिया और यहीं से मोक्ष गए, इसलिए जिन स्थानों पर तीर्थकरों ने जन्म लिया हो, दीक्षा धारण की हो, पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया हो या मोक्ष प्राप्त किया हो उन स्थानों को जैनी तीर्थस्थान मानते हैं और वो सब तीर्थस्थान भारत में ही हैं जो प्रान्तों में विद्यमान हैं । जैनों के तीर्थस्थानों की जिनमें से कुछ यहां दर्शा रहा हूँ । भारत के सभी संख्या बहुत है, कैलाश, चम्पापुर, पावापुर, गिरनार, शत्रुन्जय, सम्मेद शिखर, गजपन्या, तुरंगी, पावागिरि, द्रोणागिरि, मेदगिरि, कुथुगिरि, सिद्धवरकूट, बड़वानी, ग्राबूगिरि, शंखेश्वर, गुणावा, राजगृही, कुण्डलपुर, मन्दारगिरि, पटना, वनारस, सिंहपुरी, चन्द्रपुरी, प्रयाग, फफोसा, कोशाम्बी, अयोध्या, खुस्वुन्दू, सटमेंट, रत्नपुरी, कम्पिला, हिक्षेत्र, हस्तिनापर, चौरासीमथुरा, सौरीपुर, ग्वालीपद, सोनागिर, अजयगढ़, खजराहा, नैनगिरि, बीनाजीक्षेत्र संरोनगांव, देवगढ़, चांदपुर, पपोराजी, अहारजी, चन्देरी, पचराई, थूवीनजी, अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ कारंजा, मुक्तागिरि, मातकुलि, रामटेक, श्री महावीर जी चांदखेड़ी, मक्सी पार्श्वनाथ, विजोलिया पार्श्वनाथ, केशरियाजी, ग्रावू पहाड़, अचलगढ़, तारंगा, पावागढ़, मांगीतुरंगी, गजपन्था, एलोरा, कुलगिरि, कारकण्डू की गुफायें, वीजापुर, वादामी के गुफा मन्दिर, वैलगांव, हम्मचरद्द्मावती, वरांगकारगल, मूड़विद्री, वेणूर, वैलुर- हलेविड, श्रवणबेलगोला, खण्डगिरि, भालरापाटण, (१०८ मन्दिर हैं) लूणवसही, रणकपूर आदि ।
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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