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________________ 13. पणोति प्रमीयतेदनेन मितिमा या प्रमाण सार्थसिदि ।10-10. 14. तत्वाधवार्तिक, पृ0 297. 15. परीगुटा, माणिक्यनान्दि, सेन्ट्रल जैन पनिागि हाउस, लखनऊ, 1940, 16. प्रमाणीमाता, हेमचन्द्र, अंग्रेजी अनुबाद, सवारि मुखर्जी, तारा पब्लिोषान, पारासी, 1970, 1.8 17. न्याराशुदचन्द्र, काक की लधीयर य पर TT प्रमावन्द्र, सं0 40 महेन्द्र कुमार जैन, मानिकचन्द्र दिगम्बर जैन सीरीज, खना, 1938, 1.3 T. गतिSTiन: पगलानि नम् । तत्मातून, 1.9 1१. तत्पमाणे । वही 1.10 20. प्रमाणं स्परावभाति ज्ञान बाभाविवर्जितम् । मायावतार वार्तिक सिइसेन, सिंधी जैन-मयमाला, भारतीय ' विभतन, धंधई 1949, 1.2 21. प्रदीपवत् । परी.गुल, 11, 12. 22. न्यायावतार, 1,2. 23. CATी , अक्षतक की अन्टमाती परीका घिनन्दि, निर्णधसागर प्रेत, बन्माई, 1915, पृ0 175. 24. यही, पू0 175. 25. स्पपूर्षि सायरान प्रमाणाम् ।
SR No.010238
Book TitleJain Gyan Mimansa aur Samakalin Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlpana Agrawal
PublisherIlahabad University
Publication Year1987
Total Pages183
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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