SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४७ कोड़ा कोड़ि गिनाऊं सुनौजू ॥ १२ ॥ ऐसी चहुंगति भरमी गिरवर तातें या सिखाऊं सुनौजू ॥ १३ ॥ (५१) (“ सुनौजु " की चाल, व्याहमें ) काना से आये कहां तुम जैही काना रहे लुभाइ सुनौजू ॥ टेक ॥ कौन के बंधु हितू बैरी को कौन तात को माइ सुनौजू॥१॥ बेटा वनिता झुद्धमा पौरिया कौनकी है ठकुराइ सुनौजू ॥२॥ कौनके सहल अटम्बर दल बल कौन की संतति जाइ सुनौजू॥ ३ ॥ हरि हलधर चक्रेश्वर मन्मथ कारके संग न जाइ सुनौजू ॥४॥ पुण्य पाप सव उद्य व्यवस्था प्राय जाय पलाइ सुनौजू॥५॥ कुटुम कवीला अपनी गरज के ज्या तरुपंथ सहाइ सुनौ जू॥६॥ दो दिनके मिजमान वन फिर गैल आपनी जाइ सुनौजू॥७॥ कर्मनवश मेला ज्या जुरियो लेबहु पुन्य कमाइ सुनौजू ॥८॥ कोउ परजीव हितू नहिं वैरी धर्म एक सुखदाइ सुनौजू ॥ ९॥ गिरवर एक शरण जिन सांची और सबै कुटिलाइ, सुनौजू ॥ १० ॥ (५२) ("हमारे आत्मा" की चाल-हरसमय) अब के नरतन पाइयौ मोरे आत्मा ॥ सो खाद, अखाद न खाय हमारे प्रात्मा ॥ टेक ॥ अोरा घोर जले
SR No.010236
Book TitleJain Gitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Sodhiya Gadakota
PublisherMulchand Sodhiya Gadakota
Publication Year1901
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy