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________________ (“ हमारे रामाना" की चाल-विवाहमें ) पांच वचनये मानियौ मोरे रामाना ॥ तुम राखौ हिरदे बीच हमारे रामाना ॥ टेक ॥ सात व्यसन तुम छोड़ियौ मोरे रामाना ॥ अरु पाठई मद तज देव हमारे रामाना ॥१॥ पंच अनुव्रत पालियौ मोरे रामाना। कछु व्योरा देहुं बताय हमारे रामाना ॥२॥ जिय हिंसा तज दीजिये मोरे रामाना । पुनि कर चोरीको त्याग हमारे रामाना ॥३॥ झूठ वचन नहिं बोलिये मोरे रामाना । यौ परिग्रह दुख को मूल हमारे रामाना ॥४॥ यह शील रतन नित पालिये मोरे रामाना ॥जो भव २ में सुखदाय हमारे रामाना ॥५॥ रात रसोई ना करौ मोरे रामाना ॥ पुनि अनगल पियौ न नीर हमारे रामाना ।। ॥६॥ निशिभोजन ना कीजिये मोरे रामाना ॥ ये है हिंसा को मूल हमारे रामाना ॥७॥ देव एक अहंत हैं मोरे रामाना ॥ अरु हैं सब देव कुदेव हमारे रामाना॥ ॥८॥ पूजा जिन की कीजिये मोरे रामाना ॥ वो स्वर्ग मुक्ति मुख देत हमारे रामाना ॥९॥ भंड गीत ना गाइये मोरे रामाना ॥ नित सुनिये कथा पुराण हमारे रामाना ॥१०॥ ये दुर्लभ नर भव पाइयौ मोरे रामाना । जो चूकपरै नहिं दाव हमारे रामाना ॥ ११॥ धर्म या चित
SR No.010236
Book TitleJain Gitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Sodhiya Gadakota
PublisherMulchand Sodhiya Gadakota
Publication Year1901
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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