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________________ (७०) नस्वामी मोक्षं गतः । भाविनिभूतवत्कथनं यत्र स भावि नैगमो यथा अर्हन् सिद्ध एव कर्तुमारब्धमीपन्निष्पन्नमनिष्पन्नं वा. वस्तुनिष्पन्नवत् कथ्यते यत्र स वर्तमाननगमो यथा ओदन पच्यते ।। इति नैगमस्त्रेधा ॥ ____ भाषार्थः-नैगम नय तीन प्रकारसे वर्णन किया गया है, जैसेकि भूतनैगम ? भाविनैगम २ वर्तमाननगम ३। अतीत कालकी वार्ताको वर्तमान कालमें स्थापन करके कथन करना जैसेकि आज दीपमालाकी रात्रीको श्री भगवान् वर्द्धमानस्वामी मोक्षगत हुए हैं इसका नाम भूत नैगमनय है। अपितु भावि नैगम इस प्रकारसे है जैसेकि अर्हन् सिद्ध ही है क्योंकि वे निश्चय ही सिद्ध होंगे सो यह भावि नैगम है। और वर्तमान नैगम यह है कि जो वस्तु निष्पन्न हुई है वा नहीं हुई उसको वर्तमान नैगमऽपेक्षा इस प्रकारसे कहना जैसेकि तंडुल पक्कते है अर्थात् (ओदन: पच्यते ) चावल पक्क रहे हैं, सो इसीका नाम वर्तमान नैगम नय हैं। ॥ अथ संग्रह नय वर्णन ॥ संग्रहोपि द्विविधः सामान्यसंग्रहो यथा सर्वाणि द्रव्याणि परस्परमविराधीनि । विशेषसंग्रहो यथा-सर्वे जीवाः परस्परमविरोधिनः इति सङ्ग्रहोऽपि द्विधा ।।
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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