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________________ 'इच्छा-निरोधस्तप सयम भी तप है ४ तप की महिमा (जनेतर गन्थो मे) सिद्धियो का मूल-तप सृष्टि-रचना का मूल-तप वैदिक ग्रन्थो मे तप की गरिमा बौद्ध-धर्म मे तप का स्थान ५ जैनधर्म मे तप का महत्व तप का प्रतीक श्रमण महानता का मार्ग . तप तप से तीर्थकरत्व तप से चक्रवर्तित्व तपस्वी को देवता भी चाहते है शुभकार्य की आदि मे तप ६ तप का उद्देश्य और लाभ तप का फल निर्जरा कामना युक्त तप, तप क्यो नहीं ? सुख-दुख का मूल कर्म तप से लाभ ७ तप और- लब्धियां अणु से आत्मा की शक्ति महान है लब्धि क्या है ? लब्धियो के भेद मठाईस लब्धिया अन्य लब्धिया
SR No.010231
Book TitleJain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni, Shreechand Surana
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1972
Total Pages656
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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