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________________ [ २४ ] आगम अनुयोग विगारद. मुनि श्री कन्हैयालाल जी 'कमल' अखिल विश्व की अनन्त आत्माओ का यदि वर्गीकरण किया जाय तो केवल दो वर्ग बनते हैं । पहला वर्ग कर्ममल से लिप्त आत्माओ का और दूसरा वर्ग कमल से मुक्त आत्माओ का है। पहले वर्ग की आत्माओ को "सामारिक" और दूसरे वर्ग की आत्माओ को "सिद्ध" कहा गया है। सासारिक आत्माओ की वाह्याभ्यन्तर शुद्धि के लिये तपश्चर्या एक वैज्ञानिक साधना है । विधिपूर्वक की हुई तपश्चर्या से ही साधक की आत्मशुद्धि होती है यह एक तथ्य है । ___ अनेक जिज्ञामु बहुत लम्बे समय से एक ऐसी पुस्तक की आवश्यकता अनुभव कर रहे थे-~-जिसमे जैन, वैदिक और बौद्धमन्थो में प्रतिपादित तपश्चर्या का वैज्ञानिक रूप, तपश्चर्या के विविध प्रकार और तपश्चर्या के विधि विधानो का सक्षिप्त एवं सारगति मकलन हो । परम श्रद्धेय प्रवर्तक श्री मरुधर केशरी जी महाराज के तत्वावधान में श्री "सरम" जी द्वारा सपादित "जैन धर्म मे तप" नामक इन ग्रन्थ से अनेक साधको को जिजामा परिपूर्ण होगी। इसमे प्रवर्तक श्री जी की विशाल ज्ञान राशि का दोहन, अनेक ग्रन्यो का मन्यन और तपश्चर्या के अनेक अनुभवो का चिन्तन मनन ऐनी गरन एवं सरल भाषा मे दिया गया है - कि सभी स्तर के गाधक इम ग्रन्य के म्वाध्याय से लाभान्वित होंगे। इम ग्रन्थ को प्रभावना करने वाले श्रद्धालु मद्गृहस्य भी अपनी लक्ष्मी का सदुपयोग एव पुण्योपार्जन काके यशस्वी बनेंगे।
SR No.010231
Book TitleJain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni, Shreechand Surana
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1972
Total Pages656
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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