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________________ ཤུས ད s २०६ सोमोरिया यिहा दरोमोरिया प भायोमोरिया गोवरी को प्रसार को है- द्रा योदये। २ भाव जोगी। कहीं नहीं नोदी के पांच भेद भी किये गये है-- मोमोपरणं पंचहा समारोण पिपाहियं । बन्यो त कालेण, भायेणं परमहि य । संक्षेप में ऊनोदनी के पांच प्रकार है (१) द्रव्य ऊनोदरी-आहार को मात्रा से काम माना और आपसमा से कम यमन आदिना । (२) क्षेत्र कनोदरी-मिक्षा के लिए गोई स्थान आदि निश्चित कार वही में मिक्षा सेना। (३) पाल जनोपरी-भिक्षा के लिए काल-गमय निविता कर ant नमा पर निशा मिले तो सेना, नहीं तो न लेना। (४) माय जनांदरी-मिक्षा के समय अनि आदि करना । (५) पर्याप नोदरी-वक्त चारों भेदों को निगा रूप में परिणाम प्रसंग के अनुसार समसाई अर्थ हो जाते मय। से 7 साप्रतामावि ! बास्तविक गुण से हीन होने पर आति, भगा आदिको देशमार किमी सोमाणु समानामा कोसा दिया है काम मागु ! द मन्द माना नहीं! Arts - पर मापा मानिनोरी पोहरी मार ! 1) बायोमोपरिवार {} भोमोपरिणा-AIRTEE
SR No.010231
Book TitleJain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni, Shreechand Surana
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1972
Total Pages656
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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