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________________ अनशन तप १६३ करता है । यतमान स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हमारे भोजन के आठ आवश्यक तत्त्व माने हैं (१) प्रोटीन-दाने आदि । (२) फंट्स-गर्वीले पदार्थ-घी तेल आदि । (३) खनिज -लवण सहा पदार्थ । (४) फार्वोहाइड्रेटस-शरा जातीय चीनी आदि । (५) फेलशियम-चूना फासफोरस आदि । (६) लोहा-लोह युक्त पदार्थ । (७) पानी पेय पदार्थ । (E) फेलोरी-शरीर को गर्मी और पाक्ति देने वाले तत्त्व । इन नाठों तत्त्वों का उचित मात्रा में शरीर में पहुंचना आवश्यक रहता है। शुद्ध दूध और गेहूँ में ये आठों तत्व सबसे अधिक मात्रा में पाये जाते हैं अत: शरीर के लिए सबसे अधिक बावश्यकता उन्हीं तत्त्वों को रहती है। फिर भी भोजन में संतुलन और आवश्यक मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है। मामा के साथ भी भोजन की वस्तु आदि का विवेक रखना आवश्यक है । जिस पदार्थ के सेवन से शरीर में राजरा जोर तामस भाव की उत्पति होती हो, वत् पापं स्वादिष्ट लगने पर भी नहीं साना नाहिए। गोवा में आहार के तीन भेद बताये हैं सायिक नाहार राजा आहार तामस आहार इन तीनों आरबीन पारते हुए बताया : आयुः सत्य • सतारोग्य • गुप्रीति • वियनाः । म्या: स्निग्माः स्पिरा हया साहारा: सायिका प्रिया । भागु को माने जाना, बम, लारोग्य, गुणवं मोति सपनामा सीना. पिना, पान में होने वाला समय हो तुस्ट बनाने
SR No.010231
Book TitleJain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni, Shreechand Surana
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1972
Total Pages656
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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