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________________ ३० जैन धर्म के प्रभावक याचार्य ३७२ ૩૨૨ ३१८ में REET . . मुहम्ती ~ im७ दुस्सम-काल-समण-राघत्थव 'युग प्रधान' पट्टावली नाम वीर निर्माण विक्रम मवत् १ आचार्य सुधर्मा १ मे २० पू० ८६६ मे ४५० २ ॥ जम्बू २० में ६४ " ४५० से ४०६ ३ , प्राय ६४ से ७५ " ४०६ में ३६५ शरयभव ७५ १८ ३६५ मे ३७० , यशोभद्र १ मे १४८ , मभूतविजय १४८ से १५६ ११४ ___, भद्रवातु १५६ मे १७० ३०० " स्थूल मग १७० मे २१५ ३०० मे २५५ महागिरि २१५ मे २४५ २५५ मे २२५ २८५ मे २६१ २२५ से १७६ गुणगुन्दर २६१ से ३५ १७६ ने १३५ श्याम ३३५ मे २७६ २१:५ने ६४ कदिन ३७६ मे ४१४ " १४ मे ५६ १८ वतिमिन ४१४ मे ४५० " ५६ मे २० धर्म रि ४५० मे ४६५ " २० से वि०२५ भद्रगुप्त मूरि ४६५ मे ५३३ वि० २५ने ६३ ५३ मे १४० , ६० से ७२ चनम्बामी ५४८ से १८४ ,, ७८ने ११४ ., आयंरक्षित ५८८ मे ५६७ ११४ मे १२७ दुबलिका पुष्पमित्र ५९७ से १७ १२७ से १४७ वनमेन मूरि ६१७ से १२० १४७ से १५० , नागहम्नी ६२० मे ८९ १५० मे २१६ रेवतिमित्र ६८९ से ७४८ २१६ से २७८ मिह सूरि ७४८ से ८२६ २७८ से ३५ नागार्जुन सूरि ८२६ मे ६०४ ३५६ ते ४३४ २६ , भूतदिन्न सूरि ९०४ से ६३ ४३४ से ५१३ २७ , कालक मूरि (चतुर्थ)९८३ से ६६४ ५१३ से ५२४ २८ , मत्यमित्र ६९४ से १००० ५२४ से ५३० २९ । हारिल्ल १००० से १०५५ ५३० से ५८५ जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण १०५५ मे १११५ ५८५ से ६४५ १ ॥ श्रीगुप्त मूरि us W ८० 0.0
SR No.010228
Book TitleJain Dharm ke Prabhavak Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanghmitrashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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