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________________ अनुक्रम सात आशीर्वचन प्रस्तावना प्रस्तुति ग्यारह खण्ड-१ आचार्यों के काल का सक्षिप्त सिंहावलोकन १-३४ अध्यात्म प्रधान भारत जैन परम्परा और तीर्थकर वर्तमान जैन परम्परा और भगवान् महावीर सघ व्यवस्था महावीर सघ और उत्तरवर्ती आचार्य काल विभाजन आगम-युग ५-१८ आचार्य सुधर्मा और जम्बू श्रुतकेवली परम्परा द्वादशवर्षीय दुष्काल और आगमवाचना टूटती श्रुत-शृखला और आर्य स्थूलभद्र दशपूर्वधर परम्परा और उल्लेखनीय प्रसग आचार्य सुइस्ती और सम्राट् सम्प्रति जैन धर्म और सम्राट् खारवेल जैन शासन की प्रभावना मे विशिष्ट विद्यासम्पन्न आचार्यों का योग पूर्वो की परम्परा का विच्छेद-क्रम आगम विच्छेद-क्रम आगमपरक साहित्य अनुयोग व्यवस्था
SR No.010228
Book TitleJain Dharm ke Prabhavak Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanghmitrashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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