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________________ अध्याय ४ ११वीं और १२वीं शताब्दी के विद्वान् प्राचार्य अहनन्दि पद्मसेनाचार्य धर्मसेनाचार्य विमलसेन पंडित वादिराज सागरसेन सैद्धान्तिक दिवाकरनन्दि सिद्धान्तदेव इन्द्रसेन भट्टारक दुर्गदेव (रिष्टसमुच्चय के कर्ता) प्राचार्य माणिक्यनन्दी महाकवि पुष्प दन्न नयनन्दी कविडड्ढा (संस्कृत पंचसंग्रह के कर्ता, प्रभाचन्द्र (प्रमेयकमलमार्तण्डकर्ता) पंडित प्रवचनप्तेन वीरसेन (माथुरसंघ) शान्तिनाथ देवसेन इन्द्र कीति नेमिषेण गणसेन पंडित (नेयायिक और याकरण) माधवसेन गोपनन्दी शान्तिदेव अमितगति (द्वितीय) वासवनन्दी ब्रह्म हेमचन्द्र (श्रुतस्कन्ध के कर्ता) वीरनन्दी सिद्धान्त चक्रवर्ती (चन्द्रप्रभचरित्र के कर्ता, पद्मनन्दि (तिन्त्रिणी गच्छ) नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती (गोम्नट सार के कर्ता) कनकसेन (द्वितीय) प्रार्यसेन नरेन्द्रसेन प्रथम महासेन नरेन्द्र सेन (द्वितीय) चामुण्डराय (चामुण्डराय पुराण के कर्ता) जिनसेन महाकवि वीर (जम्बू स्वामीचरित्र के कर्ता) नयसेन पानन्दी (जंबद्वीप पण्णत्ती के कर्ता) मल्लिषेण कवि धवल (हरिवंश पुराण कर्ता) श्रीकुमार कवि (आत्म प्रबोध के कर्ता) जयकीति (छन्दोनुशासन के कर्ता) अङ्कदेव भट्टारक ब्रह्मसेन प्रतिप गुणकीति सिद्धान्तदेव मुनि श्रीचन्द्र देवकीति पंडित (अनन्तवीर्य शिप्य) केशिराज गोवर्द्धन देव वृषभनन्दी २४६
SR No.010227
Book TitleJain Dharm ka Prachin Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherRameshchandra Jain Motarwale Delhi
Publication Year
Total Pages591
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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