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________________ जैन धर्म का प्राचीन इतिहास-भाग २ गोपनन्दी २५६ गोल्लाचार्य २३६ गोवर्द्धन (श्रुतकेवली) ४६ गोवर्द्धनदेव ३०० (कवि) गोविन्द ५०२ चउमुह (चतुर्मुख) १४३ (भ०) चन्द्रकीर्ति ५४० चन्द्रकीर्ति ३८६ चन्द्रकीति ३४७ चन्द्रकीति ३४: चन्द्रकीति नाम के दूसरे विद्वान ३४६ चन्द्रकीति (श्रुतविन्दु के कर्ता) ३४६ चन्द्रदेवाचार्य २३७ चन्द्रनन्दि ११३ चन्द्रनन्दि १६० चन्द्रप्रभाचार्य ३०६ चन्द्रसेन १६२ (कवि) चन्द्रसेन ५०२ चामुण्डराय ३६५ (अभिनव) चारुकीर्ति पंडित देव ४६५ चितकाचार्य १२६ छत्रसेन ३३६ (कवि) जगन्नाथ ५५१ जयसिंहनन्दी १३६ (कवि) जन्न ४२६ जटाकीर्ति २७५ जयकीति २२७ जयदेवपंडित १६० जयसेन २३८ जयसेन १७३ जयसेन (प्राभत त्रयटीकाकार) ३८३ जयसेन ३२४ जयसेन ३११ (कवि) जल्हिग ५०० (40) ज़िनदास ५३० जिनसेनाचार्य १७४ जिनसेनाचार्य १४८ जिनसेन २६४ (ब्रम्ह) जीवंधर जोइन्दु (योगीन्द्रदेव) १२८ ज्ञानकीर्ति ५४४ (भ०) ज्ञानभूषण ५०४ (कवि) ठकुरसी ५२१ (शाह) ठाकुर ५३७ (कवि) डड्ढा २५७ तुम्बुलू राचार्य ११२ (कवि) तेजपाल ५१८ तेलमोलिदेवर १६० तोरणाचार्य २३६ तोलकप्पिय ८६ त्रिभुवनचन्द्र ३२३ त्रिभुवन मल्ल ३५३ त्रिविक्रमदेव ४३२ त्रकालयोगीश २२३ दयापालमुनि ३२३ दशरथगुरु १८२ दामनन्दि भट्टारक ३०० दामनन्दि ३०० दामनन्दि ३०१ दामराज ३०२ (कवि) दामोदर ३६४ (कवि) दामोदर ५०६ दिवाकरनन्दि सिद्धान्तदेव २५१ दुर्गदेव २५२ देवकीति ३४८ देवकीर्तिपंडितदेव ३०० (मुनि) देवचन्द्र ३८२ देवनन्दि (पूज्यपाद) ११५ (भ०) देवेन्द्रकीति - देवेन्द्रमुनि ३७३ देवेन्द्रसैद्धान्तिक १६६ देवसेन २८६ देवसेनगणी (सुलोचना च० कर्ता) ३७६ देवसेन (भावसग्रह के कर्ता) ४३६ देवसेन भट्टारक २३१ देवसेन २३१ देवसेन १५६ देवसेन (दर्शनसार के कर्ता) २३१ (कवि) दोड्डय्य ५३० (आचार्य) दोलामस (तिसेन) ६५ (महाकवि) धनंजय १३८ (कवि) धनपाल ४८८
SR No.010227
Book TitleJain Dharm ka Prachin Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherRameshchandra Jain Motarwale Delhi
Publication Year
Total Pages591
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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