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________________ माय बर मोटार प ___ यानि । यह मरीर में प्रारम्म Eni जागना राग यमन दुगों का मन बग्ने रामाना गया TIET THI, मानगिक और भावनात्मक 11 माजEPI नार-जतिन मो समस्या से छुटकारा मिलता for प्रा. पदादरग्रह या विजन, महयोग पा जन, गवगा गिजन और पो विजन । ___ प्रसार वन ETrमरीनविपरम में प्रभावित गम म मरण ना मोक्ष माधना में जन्नग हेतु ITTEAlए ये पाय तर सपनीप्रीम जाते है । बाघ नारी भाति मगरमपन मगेर प्रमापित , ऐसा प्रतीत नहीं होता, पितु भीतर ही गातर गरवार (राम) शरीर म विस्फोट करने की प्रतिया परती है। जैर-धम जर प्रियापारी नही है । ना उगमे गात तप पी प्रतिष्ठा मा। 7-धम बरा वा अनुष्ठान जोटियोर मन ा सिमर परता तथा यम-गरीर पाता है । वाम गरीर का तापक होने में ही राप आदिमय मिलना पोमपादित कर सपना है। राग और पर-य है, दिमाघ १. मात्मा गे पद पर पारे। सचम गेर नप रामाधरामेबारमा विभागमुना, स्वभाव मे रिवाजानी र नायर की जापाम दिय ज्याति प्रस्ट रोनी या धन भागोफ में भर जाना है सपा पृष मदहोकर मुक्त हो जाता।मास-ग्यस्था में प्रदेस मुका- समान होती है । जिपा द्वार सगरम लिए पला । नामपर और निजगपी माधना : ममपित हो
SR No.010225
Book TitleJain Dharm Jivan aur Jagat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakshreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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