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________________ ४४ निम्नाकित चित्र से यह और स्पष्ट हो जाएगा fo जैनधर्मं जीवन और जगत् 5 · • - 9 6 मस्तिष्क में दश प्राण प्रेक्षा केन्द्र प्राण शक्ति का विकास भी पर्याप्तियो के विकास और परिष्कार के विना सभव नही है | आहार - सयम, योगासन, इन्द्रिय-सयम, श्वास - सयम, श्वास- प्रेक्षा, मौन, स्वर यत्र का कायोत्सर्ग तथा ध्यान-योग – ये क्रमश छहो पर्याप्तियो या शक्ति-स्रोतो को पुष्ट मोर निर्मल बनाने के उपाय हैं । आध्यात्मिक वैज्ञानिक व्यक्तित्व के निर्माण में उक्त उपाय अह भूमिका निभा सकते हैं । संदर्भ १ जैन सिद्धात दीपिक - ३ / १२-१३ ( गणाधिपति श्री तुलसी ) २ जैन तत्त्व-विद्या- पृष्ठ २७ ( गणाधिपति श्री तुलमी ) ३ जैन दर्शन मनन और मीमामा, पृष्ठ २५६ ( आचार्यश्री महाप्रज्ञ ) ४ प्रेक्षाध्यान प्राण- विज्ञान ( आचार्यश्री महाप्रज्ञ )
SR No.010225
Book TitleJain Dharm Jivan aur Jagat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakshreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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