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________________ सूक्ष्म जीव जगत् और विज्ञान पृथ्वी का जीवत्व जैन-दर्शन पृथ्वी को सजीव मानता है। जब तक शस्त्र-उपहत नही होती, मिट्टी आदि निर्जीव नहीं होती। पृथ्वी की सजीवता सिद्ध करने वाले ये वैज्ञानिक तथ्य मननीय हैं। मास्को विश्वविद्यालय के मृत्तिका जीव-विज्ञान-विभाग के प्रधान तथा सूक्ष्म कीटाणुओ के प्रमुख विशेषज्ञ प्रो० एन० क्रोसिल निकोव ने मिट्टी सजीव है या निर्जीव, यह जानने के लिए वर्षों तक खोज की, प्रयोग किए और सफलता के शिखर को छूते हुए उन्होने कई नए तथ्य प्रस्तुत किए। उन्होने "एनारोविक' नाम के ऐसे कीटाणुओ का पता लगाया, जो जमीन के भीतर ऑक्सीजन के विना ही जीवित रहते हैं, क्रियाशील रहते हैं । प्रो० प्रोसिल के शिष्य वी० दूदा विभिन्न प्रकार की मिट्टियो से सौ से अधिक प्रकार के इन कीटाणुओ को अलग करने में सफल हुए हैं। यहा यह ज्ञातव्य है कि जन-विज्ञान के अनुसार पृथ्वी में रहने वाले कीटाणु पृथ्वीकाय नहीं हैं । पृथ्वी काय स्वय जीवाणुओ का पिंड है। विज्ञान ने यह भी सिद्ध कर दिया कि एक ग्राम के ढेले मे कई लाख दर्जन अतिसूक्ष्म जीवाणु ठसाठस भरे हैं, जो लाखो वर्षों से लगातार अथक प्रयास फर, धरती को उपजाऊ बनाए रखते हैं । ___ सजातीय उत्पादन और वृद्धि-यह जीव की खास पहचान है । जैनदर्शन मानता है, पृथ्वीकाय मे निरन्तर वृद्धि का क्रम चाल रहता है। यह विज्ञान से भी सिद्ध होता है। वैज्ञानिक एच० टी० क्सटापेन के अनुसार-"जसे बालक का शरीर निरन्तर बढ़ता रहता है, वैसे पर्वत भी धीरे-धीरे बढते हैं । विश्व के पर्वतो मी वृद्धि गा मन करते हुए लिखते हैं .---"न्यूगिनी के पर्वतो ने अभी अपनी गंगवावस्पा ही पार की है, सेलोवोस ये दक्षिणी-पूर्वी भागो, भोलकास के पुष टापुओ और डोनेपिया पं द्वीप समूह की भूमि कपी उठ रही है। टॉ० सुगाते पे अभिमत ने न्यूजीलैण्ड के पश्चिमी नेलसन के पर्वत 'प्लाइस्टोनीन" युग के अन्त में विकसित हुए हैं। टॉ० वेल्मेन लिखते हैं - पाल्पस पवतमाला या पश्चिमी भाग बब भी बढ रहा है। 'द्वीपो की भूमि पा उटाव तथा परतो की वृद्धि पृथ्वी पी नजीवता पे स्पष्ट प्रमाण हैं
SR No.010225
Book TitleJain Dharm Jivan aur Jagat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakshreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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