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________________ आगम वाचना : इतिहास-यात्रा जिन शासन का प्राण तत्त्व है अर्हत्-प्रवचन । अर्हत सर्वज्ञ होते हैं, केवलज्ञानी होते हैं । उनकी ज्ञान-चेतना सर्वात्मना जागृत हो चुकी होती है। सपूर्ण जीव-अजीव जगत् अपने गुण-पर्याय धर्मों के साथ उनकी ज्ञान-चेतना मे स्पष्ट परिलक्षित होता है । सर्वज्ञता प्राप्त होते ही वे लोक-कल्याण हेतु प्रवचन करते हैं । सत्य का प्रतिपादन करते हैं। महंतो द्वारा प्रतिपादित विशाल श्रुत के आधार पर गणधर द्वादशागी की रचना करते हैं । भगवान महावीर जैन-धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर थे । कठिन अध्यात्म-साधना के पश्चात् वे सर्वज्ञ बने । सत्य का साक्षात्कार किया। जन-चेतना को जागृत करने हेतु उन्होने प्रवचन किया। इद्रभूति गौतम आदि ग्यारह गणधरो ने, जो कि उनके प्रधान अतेवासी शिष्य थे, उस अर्थ रूप मे प्रवाहित श्रुत के अजस्र-स्रोत को ग्रन्यो या शास्त्रो के रूप मे रूपायित किया। शास्त्र रचे। अर्हत्-प्रवचन के आधार पर रचा गया आगम वाङ्मय द्वादशागी या गणि-पिटक कहलाया। वह विशाल ज्ञान-राशि आगम या श्रुत के नाम से प्रसिद्ध है। अहंत परम्परा के उत्तरवर्ती आचार्यों को यह अपार श्रुत-राशि विरासत के रूप में प्राप्त होती है । ये इसका अमूल्य-निधि के रूप मे सरक्षण करते हैं। जैन-शासन को गणधरो की अमूल्य देन है-द्वादशागी या गणिपिटक । वैदिक परम्परा मे जो स्थान वेदो का है, बौद्ध परम्परा मे जो स्थान त्रिपिटक का है, वही स्थान जैन परम्परा में गणिपिटक का है। भगवान् महावीर की उत्तरवर्ती परम्परा मे आचार्य सुधर्मा और जवू स्वामी ये दो ही केवली हुए। उनके युग तक आगम वाड्मय सपूर्णत सुरक्षित रहा । उनके पश्चात् छह श्रुत केवली हुए । उनमे भद्रबाहु का स्थान बहुत ऊ चा है । आचार्य भद्रबाहु के पश्चात् श्रुत की धारा क्षीण होने लगी। ___ जब-जब श्रुत की प्रवहमान धारा मे अवरोध उत्पन्न हुए, श्रुत विच्छिन्न हुआ, श्रमण-सघ ने श्रुत-सपन्न समर्थ आचार्यों के नेतृत्व मे श्रुत की सुरक्षा का तीव्र प्रयत्न किया। श्रुत का सकलन, सूत्र और अर्थ की विस्मृत या विच्छिन्न परम्परा का पुन सधान, ग्रन्थ-लेखन आदि-आदि माध्यमो से महान् जैनाचार्यों ने श्रुत की महान् सेवाए की ।
SR No.010225
Book TitleJain Dharm Jivan aur Jagat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakshreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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