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________________ जैन-दर्शन मे पुद्गल उत्पन्न हो सकती है । वास्तव में एक परमाणु मे कितनी शक्ति है, इसका विज्ञान अभी तक अदाजा नही लगा पाया है । इस क्षेत्र मे नित नये रहस्य खुलते जा रहे हैं। फिर भी पदार्थ को शक्ति के रूप मे वदलने की सभावना के अनुसार कहा जाता है कि एक पौंड या ४५० ग्राम पदार्थ में इतनी शक्ति होती है, जितनी चौदह लाख टन कोयला जलाने पर मिलती है । यदि ऐसा सभव हो जाए तो ४५० ग्राम कोयले में पूरी अमेरिका के लिए एक माह तक चलने वाली बिजली तैयार हो सकती है । गुद्गल मेसकोच - विस्तार की अद्भुत शक्ति होती है । इसलिए सय्यात प्रदेशी लोकाकाश मे अनत प्रदेशी पुद्गलो के अनत - अनत स्कन्ध समाहित हो जाते हैं । सूक्ष्म परिणमन और अवगाहन शक्ति के कारण पुद्गल परमाणुओ नार फन्धो में ऐसी सूक्ष्मतम परिणति होती है कि एक ही आकाश प्रदेश मे अनतानत पुद्गल रह सकते हैं । जैसे एक कमरे मे एक दीया जलाया जाता है तो उसका प्रकाश पूरे कमरे मे फैल जाता है और यदि उसी कमरे मे सो दिये जला दिये जाते हैं तो वह शत् गुणित प्रकाश भी उस कमरे मे समाहित हो जाता है । उन प्रकाश- अणुओं को अतिरिक्त स्थान रोकने की अपेक्षा नही रहती । यह तथ्य विज्ञान सम्मत भी है । डॉ० एडिग्टन के अभिमत से एक टन न्याष्टीय पुद्गल (न्यूक्लीयर मेटर) को सघन बनाया जाए तो वह हमारे वास्पेट के जब मे समा सकता है । इन सब अध्ययनो के सदर्भ से ज्ञात होता है कि जंन दर्शन का समस्त एक विज्ञान के विद्यार्थी ८९ पुद्गरा और परमाणु मिद्धात वित्तना वैज्ञानिक है । फो दोनो मे सद्द्भुत समानता प दर्शन होते हैं । जैन दर्शन मे प्रतिपादित पुद्गल द्रव्य को समग्रता ने समझ लेने के पश्चात् ही आधुनिक विद्वानों की धारणा पुष्ट हुई है कि आधुनिक विज्ञान वप्रथम जन्मदाता भगवान् महावीर ही थे । सदर्भ १ सिद्धान वाि । २ हजारीमल स्मृति प्रप-लेय---"दशन व विमान के क्षेत्र मे द्रष्य ।" पुद्गल ६ श्री पुष्प मृति भिनदन ग्रन्थ लेख- -जैन दर्शन स्वम्प और विश्लेषण (श्री देवेन्द्र मुनि मान्त्री) विश्व प्रति लोग्नध्य । -
SR No.010225
Book TitleJain Dharm Jivan aur Jagat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakshreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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