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________________ हिन्दू जाति की सामाजिक दुर्दशा सुधारने एक मात्र उपाय विधवा विवाह। इस देश में बाल विवाह, वृद्ध विवाह, अनमेल विवाह और कन्या-कम-विक्रय प्रादि सामाजिक कुप्रथायें भयंकर रूप धारण करती जा रही हैं। इन्हों कुरीतियों के दारुण परिणाम स्वरूप सन् १९२१ को मनुष्य गणना के अनुसार इस देश में समस्त हिन्द विधाओं को संख्या २१२५५५५४ थीं। इनमें से केवल २५ वर्ष तक को आयु बाली विधवाए १५३७६४४ हैं । इस संख्या में १० वर्ष से कम उम्र वाली विधवामी को संख्या १७८५४ है कि जिन विचारियों को यह भी मालूम नहीं है कि सुहाग और पति किस खिलौने का नाम हुमा करता है। माज इनका सुहाग सिन्दूर धो दिया गया है और इसके साथ ही इनके नन्हे २ हाथों को चड़िया भी तोड़ दी गई हैं रंगोन वस्त्र तो इन घिचारियों को दिखाये भो नहीं जाता पहनने के लिये फटो दुई काली साड़ो बिछाने के लियेटी सो Mat और खाने के लिये टंडो बासो रोटो और २४ रोज की बची
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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