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________________ (६८) स्त्री पर मोर प्रत्येक स्त्री का प्रत्येक पुरुष पर ममान अधिकार रहता है, इससे वहाँ सब पुरुष अपने को भाई २ समझते हैं। चीन में भी फूधीक राजत्वकाल तक ऐसा ही नियम था। इसी तरह प्रायलेंगड की केल्टिक जाति के बारे में भी है। फेलिक्स अरेबिया में और कोरम्बा जाति में भी ऐसा ही नियम था । ऑस्ट्रेलिया में विवाह के पहिले ममागम करना बुरा नहीं समझा जाता था। बैबिलोन में प्रत्येक स्त्रीको विवाह के बाद व्हीनस के मन्दिर में बैठकर किसी अपरिचित आदमी के साथ सहवास करना पड़ता था। जब तक वह ऐसा न करे, नब तक वह घर नहीं जा सकती थी। अर्मीनियन जाति में कुमारी स्त्रियाँ विवाह के पहिले वेश्यावृत्ति तक करती हैं परन्तु इसमें लोकलज्जा नहीं समझी जाती । प्राचीन रोम में विवाह के पहिले यदि कोई लड़की व्यभिचारवृत्ति से पैसा पैदा नहीं कर पाती थी तो उसे बहुत लज्जित होना पड़ता था। चिपचा जाति में अगर किसी पुरुष को यह मालूम हो कि उसकी स्त्री का अभी तक किसी पुरुष से समागम नहीं हुश्रा तो वह अपने को प्रभागा समझता था और अपनी स्त्री को इसलिये तुच्छ समझता था कि वह एक भी पुरुष का चित्ता. कर्षण न कर सकी । वोटियाक लोगों में अगर किसी कुमागे के पीछे नवयुवकों का दल न चले तो उसके लिये यह बड़े अपमान की बात समझी जाती है। वहाँ पर कुमारावस्था में ही माता बनजाना बड़े सौभाग्य और सम्मान की बात मानी जाती है। इस विषय में इसी प्रकार के अद्भुत नियम चियवे, केमैग्मट, ककी, किचनक, रेड इन्डियन, चुकची, एस्कियो, डकोटा, मौंगोलकारेन, डोडा, रेड कारेन, टेहिटियन, आदि जानियों में तथा इसके अतिरिक्त कमेस्क डैल,
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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