SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अर्थात्-दुसरे गोत्र में पैदा हुई, नीगंग, अच्छे लक्षण वाली, आयुष्मती, गुणशालिनी और पिता के द्वारा दी हुई कन्या को वरण करे । यदि कन्या बीमार हो, या वह जल्दी मर जाय, नो क्या उसका विवाह अधर्म कहलायगा? जिस कन्या का पिता मर गया हो तो उसे कोन देगा और क्या उसका विवाह अधर्म कहलायगा ? यदि यह कहा जाय कि पिता का तात्पर्य गुरुजन से है तो क्या यह नहीं कहा जा सकता कि कन्या का तात्पर्य विवाह योग्य स्त्री से है ? कुमारी के अतिरिक्त भी कन्या शब्द का प्रयाग हाना है। दि० जैनाचार्य श्रीधरसेनान विश्वलोचन कोष में कन्या शब्द का अर्थ कुमारी के अनि रिक्त स्त्री सामान्य भी किया गया है । 'कन्या कमारिका नायर्या गशिभंदोषधीभिदाः।' ( विश्वलोचन, यान्तवर्ग, श्लोक ५ वाँ)। इसी तरह पद्मपुराण में भी सुग्रीव की स्त्री सुनारा को उस समय कन्या कहा गया है जब कि वह दो बच्चों की मां हो गई थी। 'केनोपायेन तां कन्यां लस्य निवृतिदायिनी ॥' सुतारा को कन्या कहने का मतलब यह है कि साहसगति विद्याधर उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता था । धर्म मंग्रह श्रावकाचार में देवाङ्गनाओं को भी कन्या कहा है-- एवं चतुर्थ चीथीषु नृत्यशालादयः स्मृताः । पग्मत्र प्रनत्यंनि वैमाना मरकन्यकाः ।। देवाङ्गनाओं का कन्या इसी लिए कहा जाता है कि वे एक देव के मरने पर दूसरे देव की पत्नी बन सकती हैं। अगर कन्या शब्द का अर्थ कुमारी ही रक्खा जावे
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy