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________________ जैन इतिहास — एक झलक किसी भी धर्म के मौलिक सिद्धांतों को समझने के पूर्व उसके उद्भव और विकास की कहानी की जिज्ञासा उठनी स्वाभाविक है। उक्त जिज्ञासाएं जहां उस धर्म / संस्कृति की निर्मल परंपरा का बोध कराती हैं, वहीं अनेक प्रकार के ऐतिहासिक सत्य को भी अनावृत करती हैं। प्रत्येक धर्म का अपना इतिहास है, उसके उद्भव और विकास की एक लंबी कथा है, जो अपने-अपने प्रर्वतकों/प्रचारकों से संबद्ध है, जहां तक जैन धर्म के इतिहास की बात है इस संबंध में एक लंबी कालावधि तक भ्रमपूर्ण स्थिति रही है। कोई इसे बौद्ध धर्म की शाखा समझते हैं तो कोई इसे वैदिक क्रियाकांडों के विरोध में उत्पन्न हुआ धर्म मानते हैं। कोई भगवान महावीर को इसका संस्थापक मानने की भूल में हैं। तो कोई इसके उद्भव का संबंध भगवान पार्श्वनाथ से जोड़ते हैं। भारतीय इतिहास के क्षेत्र में हुए अधुनातन अन्वेषणों ने उक्त मान्यताओं का निराकरण कर जैन धर्म की प्राचीनता को संपुष्ट किया है। जैन मान्यता के अनुसार जैन धर्म अनादि से है, जो समय-समय पर उत्पन्न होनेवाले चौबीस तीर्थंकरों द्वारा प्रवर्तित होता रहा है। चौबीस तीर्थंकरों की यह परंपरा अनंतकालीन है। इस युग में जैन धर्म का प्रर्वतन भगवान ऋषभदेव ने किया था। इसके प्रमाण स्वरूप पुरातात्विक सामग्री, ऐतिहासिक अभिलेखों एवं साहित्यिक संदर्भों का अभाव नहीं है। इन्हीं के आधार पर अनेक प्राच्य व पाश्चात्य विद्वानों ने अपने गवेषणात्मक निष्कषों में यह बात स्थापित की है कि जैन धर्म प्रागैतिहासिक / प्राग्वैदिक धर्म है। इसके आद्य प्रर्वतक ऋषभदेव रहे हैं। इस अध्याय का प्रयोजन जैन परंपरागत इतिहास की संक्षिप्त प्रस्तुति के साथ उसकी प्राचीनता को संपुष्ट करना है। जैन परंपरागत इतिहास जैन अनुश्रुतियां भारत का इतिहास उस समय से प्रस्तुत करती हैं जब आधुनिक नागरिक सभ्यता का विकास नहीं हुआ था। उस समय व्यक्ति प्रायः जंगलों में रहते थे । मनुष्य ग्राम व नगरों में नहीं बसते थे। लोग न खेती करना जानते थे, न पशु-पालन, न ही कोई उद्योग-धंधे। उस समय के लोग अपने खान-पानादि समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति प्राकृतिक कल्पवृक्षों से कर लिया करते थे। (इच्छित / कल्पित आवश्यकताओं की पूर्ति हो
SR No.010222
Book TitleJain Dharm aur Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramansagar
PublisherShiksha Bharti
Publication Year
Total Pages300
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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