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________________ स्त्री मोक्षवाद १५३ सातवीं नरक और दूसरा समस्त सुखोंका स्थान मोक्ष । जिस प्रकार स्त्रियाँ इस तरहकी उच्च मनोवलकी टिके लिये सातवीं नरकको नहीं जा सकतीं ऐसा आगममें कहा है वैसे ही उसी प्रकारके उन्च परन्तु शुभ मनोवलकी त्रुटिके कारण मोक्षको किस प्रकार प्राप्त कर सकें ? | आपका यह कथन भी निःसार ही मालूम होता है। क्योंकि ऐसा कोई नियम नहीं कि जिसमें उच्चमें उच्च अशुभ परिणाम हो उसी में उच्चमें उच्च शुभ परिणाम भी हो । यदि ऐसा नियम होता तो जो मनुष्य जिस भवमें मोक्षमें जानेवाला है उसी भवमें उसमें उच्चमें उच्च अशुभ परिणाम होनेसे उस चरम देहवालेका मोक्ष किस तरह हो सके ? मनुष्योंमें उसमें उच्च अशुभ परिणाम होनेसे वे उसी भव; मोक्ष नहीं जा सकते। तथा जिन जीवोंकी नीच गतियोंमें जानेकी शक्ति कम होती है उन्हीं जीवोंमें उच्च गतियों में जानेकी शक्ति कुछ कम नहीं होती।। देखिये कि भुजपरि सर्व दूसरी ही नारकीतक जा सकते हैं इससे आगे नीच गतिमें जा नहीं सकते, तथापि ऊपर उच्च गतिमें सहस्रार देवलोकतक पहुंच जाते हैं, वैसे ही पक्षी नीचे तीसरी नारकीतक, चतुप्पद पशु नीचे चौथी नारकीतक और सर्प नीचे पांचवीं नारकी तक जा सकते हैं । इसप्रकार अशुभ परिणामसे भी ये अमुक अमुक हदवाली नीच गतियोमें जा सकते हैं । परन्तु ये सब ही ऊंच गतिमें तो सहस्रार देवलोक तक पहुँच सकते हैं। अतः जितने अशुभ परिणाम हो उतने ही शुभ परिणाम होने चाहिये ऐसा कोई नियम नहीं, ऐसा होनेसे स्त्रियो सातवी नरक तक जानेका अशुभ परिणाम वल न होनेपर भी वे अच्छी तरह मोक्षको प्राप्त कर सकती हैं, इसमें किसी भी प्रकारकी शंका उपस्थित नहीं हो सकती । यदि आप यो कहें कि स्त्रियों में वाद करनेकी शक्ति नहीं और उनमें ज्ञान बहुत कम होता है इससे वे मोक्षके लायक नहीं, तो यह कथन भी अंनुचित है । क्योंकि जो गूंगे (जवान रहित ) केवल शानी होते हैं उन्होंमें वाद करनेकी शक्ति न होनेपर भी वे मोक्ष प्राप्त करते हैं और जो मास्तुस वगैरह मुनि सर्वथा अपठित जैसे ही थे वे भी मोक्षको पा चुके हैं अतः स्त्रियों में वाद करनेकी शाक्त न हो और
SR No.010219
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay
PublisherTilakvijay
Publication Year1927
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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