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________________ ३८१ (गोरखपुर) आदि स्थानों पर भी सुन्दर अभिलेख मिले हैं। देवगढ़ में लगभग ४०० अभिलेख हैं जिनसे पता चलता है कि मंदिरों में द्वार, स्तम्भ, शाला और मण्डप बनाये जाते थे । मतियों पर विविध चिन्ह, यक्ष, यक्षी, चैत्यवृक्ष आदि का चित्रांकन हुआ है जिससे चित्रशैली की विभिन्न परम्पराओं का ज्ञान होता है । गर्भालयों और देवकुलिकाओं का निर्माण भी उल्लेखनीय है। आबूका विमलवसहि मंदिर, एहोल का मेगुटी मंदिर, तथा श्रवणवेलगोल आदि स्थानों पर प्राप्त अभिलेखों का भी उल्लेख किया जा सकता है । खजुगहों, कीरग्राम, जूनागढ, रणकपुर, दानवुलपडु, कुरिक्यल, धर्मवरम्, हम्पी, कीजसातमंगलम्, अर्काट, गोदापुरम्, कार्कल, लक्कुण्डी, एलोरा, मूडविद्री आदि सैकडों स्थान है जहाँ जैन अभिलेख उपलब्ध हुए हैं । ये अभिलेख भाषा, इतिहास, संस्कृति तथा चित्रांकन शैली की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी हैं। ___ मुद्रा के क्षेत्र में पांडय शासकों द्वारा प्रचारित सिक्कों का विशेष योगदान रहा है। उनकी चतुष्कोणीय कांस्य मुद्राओं पर अंकित सूर्य, चन्द्र, कलश, छत्र, मत्स्य, अश्टमंगलद्रव्य, (स्वस्तिक, श्रीवत्स, नंद्यावर्त, वर्धमानक (चूर्णपात्र), भद्रासन, कलश, दर्पण, और मत्स्ययुगल), सिंह, गंज, अश्व, पताका, ध्वज आदिका रमणीय अंकन हुआ है । गंग, राष्ट्रकूट, होयसल आदि राजवंशों द्वारा प्रचालित मुद्रायें भी चित्रशैली आदि की दृष्टि से भुलायी नहीं जा सकती। ये राजवंश जैन धर्मावलम्बी थे, यह हम पीछे स्पष्ट कर चुके हैं। उनकी मुद्राओं पर जैन प्रभाव लक्षित होता है।' ___ इस प्रकार कला और स्थापत्य के क्षेत्र में जैन धर्म ने प्रारम्भ से ही महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उसके दर्शन और साहित्य ने भी कला के हर अंग को विकसित किया है। प्रादेशिक संस्कृतियों के तत्वों के साथ लोककथानों और सांस्कृतिक घटनाओं का अंकन जिस सुन्दरता के साथ जैन कला में हुआ है वह अन्यत्र दुर्लभ है। भारतीय कला के क्षेत्र में अभी भी जैन कला के योगदान को निष्पक्ष रूप से नहीं आंका जा सका जो विकास की धारा को स्पष्ट करने के लिए नितान्त आवश्यक है। १. विशेष देखिये-पुरालेखीय एवं मुद्राशास्त्रीय स्रोत -डॉ. जी. एस.ई आदि तथा रंगा चारी वनाजा
SR No.010214
Book TitleJain Darshan aur Sanskriti ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherNagpur Vidyapith
Publication Year1977
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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