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________________ राजस्थान के भण्डारों में तो महापुराण, यशोधरवरित, भक्तामर आदि सयों की सचित्र प्रतियां बहुत मिलती हैं। कागज की इन सचित्र प्रतियों का सर्वेक्षण करने पर यह प्रतीत होता है कि श्वेताम्बर परम्परा ने कल्पसूत्र, ओपनियुक्ति और उत्तराध्ययन तथा दिगम्बर परम्परा ने आदि पुराण, महापुराण, यशोधर चरित्र व सुगंध दशमी कथा को आनी चित्रण परम्परा के लिये विशेष रूप से चुना। यह परम्परा लगभग १८ वीं शताब्दी तक मिलती है।' इन ताड़पत्रों की प्रतियों पर दो काष्ठ की पटलियों के आवरण रहते हैं। उन्हें भी चित्रित किया गया है। जैसलमेर के भण्डार में सुरक्षित ओषनियुक्ति की पटलियों पर विद्यादेवियों की मूर्तियों का अंकन मिलता है। यहां दो उपासिकायें भी चित्रित हैं। यह चित्रण जिनदत्तसूरि (लगभग ११५० ई.) के संदर्भ में किया गया बताया जाता है। महावीर का आसन भी बीच में चित्रित किया गया है। एक पाटली पर एक श्रावक की दो पत्नियों को चित्रित किया गया है। यह समूचा चित्रण अजंता और एलोरा की परम्परा को लिये हुये है। कानों तक लंबी-लंबी आंखों का चित्रण, जो इस पटली पर हुना है, अजंता और एलोरा में भी मिलता है। राजस्थान और गुजरात तक यह शैली पहुंच चुकी थी। इस परम्परा में लता-वल्लरियों तथा पशु-पक्षियों की माकृतियों में मानवाकृतियों का भी चित्रण किया गया है । गेंडा और जिराफ कानी अंकन मिला है। जैसलमेर भाण्डार की ही एक अन्य पटली में हाथियों, पक्षियों और शेरों के चित्र अंकित हैं। इसका भी समय लगभग बारहवीं शताब्दी होना चाहिए। जैसलमेर भाण्डार में एक ऐसा भी काष्ठचित्र मिला है जिसपर वादिदेवसूरि और कुमुदचन्द्र के बीच शास्त्रार्थ हो रहा है । इसी प्रकार सूत्रकृतांग वृत्ति की ताड़पत्रीय प्रति के आवरण काष्ठ पर महावीर की जीवन घटनायें तथा धर्मोपदेश माला की प्रति के बावरण पर पार्श्वनाथ की जीवनघटनायें चित्रित की गई हैं। इसी प्रकार के और भी अनेक काष्ठचित्र मिलते हैं। (४) पवित्र : पट (वस्त्र) अपेक्षाकृत अधिक स्वायी हो सकते हैं। उन पर बनायी जाने वाली चित्र परम्परा बहुत प्राचीन है। गोशाल की प्रारम्भिक जीविका का साधन चित्रपट का प्रदर्शन ही था। पर, न जाने क्यों, पटचित्रों का लोप हो १. लघु चित्र-काल खण्डालावाला तथा डॉ. श्रीमती सरयू बोगी.
SR No.010214
Book TitleJain Darshan aur Sanskriti ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherNagpur Vidyapith
Publication Year1977
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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