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________________ इन सभी उबरणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्राचीन साहित्य का महत् शब्द निश्चित ही जैन संस्कृति से सम्बद्ध रहा होगा। 'ऋग्वेद' में बर्हत के अनुयायी 'आहत' कहलाते थे और वेद और ब्रह्म के उपासक 'बार्हत' कहलाते थे। आर्हत् मुक्ति प्राप्ति को साध्य मानते थे । इसलिए उन्हें " सर्वोच्च" कहा गया है। जैन धर्म आहेत धर्म है । उसके मूलमन्त्र "णमोकार मन्त्र" में भी किसी व्यक्ति विशेष को नमस्कार नहीं किया गया। इसका मूल कारण यह है कि जैन धर्म के अनुसार कोई भी व्यक्ति अध्यात्म की सर्वोच्च अवस्था को प्राप्त कर सकता है और तीर्थकर बन सकता है । इसलिए तीर्थङ्कर का अवतार नहीं होता । वह तो संसार का उत्तार करता है। तोपकर और बौड साहित्य : तीर्थकर का तात्पर्य है संसार-सागर से पार करने वाले धर्म का प्रवर्तन करने वाला महा मानव । इस शब्द का प्रयोग प्राचीन काल में तीनों संस्कृतियों में हुआ है । परन्तु जन संस्कृति में उसे सर्वाधिक महत्व मिला है । बौद्ध साहित्य में भी इसका प्रयोग मिलता है । 'सामञ्चफलसुत्त' में तत्कालीन छह तीर्थकुरों के विचारों को प्रस्तुत किया गया है, जिनमें एक निगण्ठ नातपुत्त अथवा महावीर भी है। जैनधर्म में तीर्थरों की संख्या चौबीस बतायी गई है जिनमें प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव हैं। पीछे हमने वैदिक साहित्य में उल्लिखित वातरसना मुनि, केशी और ऋषभदेव के सन्दर्भ में विचार किया था। 'ऋग्वेद' (४.५८.३, १०.१६६.१) में ऋषभदेव का स्पष्टत: उल्लेख मिलता है । वातरसना का सम्बन्ध मुनि की दिगम्बरावस्था से है। 'भागवत पुराण' में वर्णित ऋषभदेव के चरित्र से यह और भी स्पष्ट हो जाता है । वहां कहा गया है कि प्रकीर्ण केशी और शरीर मात्र परिग्रही ऋषभदेव ब्रह्मावर्त से प्रवजित हुए । वे जटिल, कपिश केशों सहित मलिन वेश को धारण किये थे और अवधूत वेष में मौनव्रती बने थे ।' 'भागवत पुराण' में ऋषभदेव की कठोर तपस्या, अपरिग्रहवृत्ति, दिगम्बर व्रतचर्या बोर वंश परिचय का विस्तार से उल्लेख वाया है। वहां उनको विष्णु का अंशावतार माना गया है । 'विष्णु पुराण', 'शिक्षुराण,' अग्नि पुराण', १. अग्वेद, १०-८५-४. २. पवन पुराण, १३-३५०. ३. भागवत पुराण, ५.९२८-३१.
SR No.010214
Book TitleJain Darshan aur Sanskriti ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherNagpur Vidyapith
Publication Year1977
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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