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________________ जीवन-पद्धति और रहन-सहन मे क्रान्तिकारी परिवर्तन हए है। अतः सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य मे हमे धर्म के विकास की गति और उसका रूप निर्धारित करना होगा। अब धर्म का सामाजिक रूप अधिक निखरेगा । हमे वैयक्तिक आध्यात्म साधना के बल पर उसे तेजस्वी बनाना होगा। मेरी दृष्टि से आज की समस्या यह नहीं है कि हम धर्म या प्राध्यात्मिकता के बल पर किन्ही अभावों या अज्ञात रहस्यो मे भटके, वरन् हमारा चिन्तन और लक्ष्य यह होना चाहिये कि हम परिवर्तनशील समाज की गति को समझते हुए उसके घटको को किस प्रकार प्राध्यात्मिक ऊर्जा से सयुक्त करे। मुझे लगता है कि निकट भविष्य मे आने वाला युग धर्म या आध्यात्मिकता का विरोधी नही होगा वरन् धर्म विज्ञान द्वारा पुष्ट होगा। यदि व्यक्ति केवल रोटी के बल पर जीवित नहीं रह सकता, यदि सब प्रकार की भौतिक सुविधाओ का लाभ लेते हुए वह रिक्तता की अनुभूति करता है, यदि बाह्य इन्द्रियो के विषयो का सेवन करते हुए भी सत्रस्त है, तो समझ लोजिये कि आध्यात्मिकता के प्रति उसकी भूख है । आज को भौतिक प्रगति बाह्य इन्द्रियो के विषय-सेवन के बडे मोहक साधन प्रस्तुत कर दिए है । वैज्ञानिक मानव उन्हे भोग रहा है फिर भी वह अतृप्त है। यह अतृप्ति की स्थिति जितनी भयावह होगो, उसी अनुपात से वह आध्यात्मिक परीक्षणो की ओर अग्रसर होगा । विदेशो मे ध्यान के प्रति आकर्षण इसका प्रमाण माना जा सकता है। सुदूर अतीत के अर्ज नमाली आदि के उदाहरण छोड भी दें तो निकट वर्तमान मे घटित डाकुमो आदि के सामहिक आत्म समर्पण के प्रसग इस बात के सकेत हैं कि क्रूर से क्रूर व्यक्ति में भी कोई ऐसी सवेदनशील चेतना होती है जो उसके भावो को बदलकर शुभ के प्रति, सद् के प्रति प्रेरित करती है। इसे आध्यात्मिक भाव-स्फुरणा की सज्ञा दी जा सकती है। वर्तमान परिस्थितियो ने आध्यात्मिकता के विकास के लिए अच्छा वातावरण तैयार कर दिया है, विशेषकर पश्चिमी देशो मे । अध्यात्म प्रेमी चिन्तको और धर्म साधको को उसका लाभ उठाना चाहिये। आज आवश्यकता इस बात की है कि जैन तत्त्व विचार का (जिसे वैज्ञानिक अध्यात्म-चिन्तन की सज्ञा दी जा सकती है) विदेशो मे उनकी अपनी १२६
SR No.010213
Book TitleJain Darshan Adhunik Drushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year1984
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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